राजस्थान : सड़क हादसों का ऐसा सिलसिला चल पड़ा है कि हर दिन दर्जनों लोगों की जान जा रही है. नवंबर की शुरुआत के सिर्फ चार दिनों में ही प्रदेशभर में 64 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि अक्टूबर महीने में 771 लोगों की जान गई थी. जनवरी से अब तक यानी साल 2025 में सड़क हादसों में कुल 9 हजार 711 लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार बढ़ते हादसे ट्रैफिक व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल रहे हैं.
जयपुर में हाल ही में हुए भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है. यहां एक बेकाबू डंपर ने 40 गाड़ियों को रौंद डाला, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई. इससे पहले जोधपुर जिले के फलोदी में रविवार को मंदिर से लौट रहे श्रद्धालुओं का टेंपो ट्रैवलर भारतमाला एक्सप्रेस-वे पर खड़े ट्रक से टकरा गया, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई. अलवर में भी एक थार गाड़ी ने पूरे परिवार को कुचल दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हुई. इसी तरह जैसलमेर में स्लीपर बस आग का गोला बन गई थी, जिसमें 26 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी.
सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकारी आंकड़े डराने वाले हैं- जनवरी में 872, फरवरी में 1 हजार 785, मार्च में 993, अप्रैल में 972, मई में 1 हजार 33, जून में 862, जुलाई में 767, अगस्त में 808, सितंबर में 784, अक्टूबर में 771 और नवंबर के पहले चार दिनों में ही 64 मौतें दर्ज हुई हैं. साल खत्म होने में अभी दो महीने बाकी हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा पहले ही 9 हजार 700 पार कर चुका है.
राजस्थान में सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण खराब सड़कें और लापरवाह ड्राइविंग है. साल 2025 में अब तक 1 हजार 445 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 429 हादसे पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर हुए. इसके अलावा 352 हादसे नेशनल हाईवे, 50 हादसे रिडकोर की सड़कों, 126 हादसे पीडब्ल्यूडी के नेशनल हाईवे, 111 हादसे नगर निगम की सड़कों, 30 हादसे आरएसआरडीसी रोड्स और 17 हादसे अर्बन सड़कों पर दर्ज किए गए.
सड़क हादसों के मामले में राजस्थान देश का छठा सबसे खतरनाक राज्य बन गया है. सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान का नंबर आता है. वहीं मौतों के मामले में राजस्थान का स्थान सातवां है, जहां हर साल औसतन 10 हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं. इन घटनाओं ने राज्य की ट्रैफिक व्यवस्था और कानून-व्यवस्था दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
3 नवंबर (जयपुर) तेज रफ्तार ट्रक ने 40 वाहनों को रौंदा, 14 की मौत. 2 नवंबर (फलोदी) धार्मिक यात्रा से लौट रहे श्रद्धालु ट्रक से भिड़े, 15 की मौत. 1 नवंबर (अलवर) थार ने पांच लोगों को कुचला, चार की मौत. 31 अक्तूबर (फलोदी) बीकानेर हाईवे पर डंपर ने 16 लोगों को मारा, चार की मौत और 12 घायल. 24 अक्तूबर (जयपुर) बस हाई टेंशन लाइन की चपेट में आई, दो की मौत, 13 घायल. 19 अक्तूबर (बाड़मेर) ट्रेलर-स्कॉर्पियो भिड़ी, चार की जलकर मौत. 14 अक्तूबर (जैसलमेर) स्लीपर बस में आग लगी, 28 लोगों की मौत. 13 अगस्त (दौसा) खाटू श्याम दर्शन से लौट रहे श्रद्धालुओं की पिकअप कंटेनर से टकराई, 11 मौतें. 13 सितंबर (जयपुर) तेज रफ्तार कार रिंग रोड पर पलटी, कई मौतें.
राजस्थान के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि सरकार सड़क हादसे रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. उनका कहना है कि जैसे-जैसे सड़कें बेहतर हो रही हैं, लोग वाहन चलाने में लापरवाही बरतने लगे हैं. उन्होंने माना कि ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, जिसके कारण हादसे बढ़ रहे हैं. सरकार अब चेकिंग अभियान के जरिए ड्राइवरों को जागरूक करने की योजना बना रही है.
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