सुप्रीम कोर्ट ने सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी को गैरजिम्मेदाराना बताया। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को भी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राहुल गांधी इतिहास को समझे बिना इस तरह के बयान नहीं दे सकते। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसी टिप्पणियां दोबारा की गईं तो सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई करेगा।
इंदिरा गांधी ने भी लिखा था पत्र- कोर्ट
अदालत ने आगे कहा, "आप उन लोगों के बारे में ऐसा कैसे कह सकते हैं जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाई? कल क्या आप महात्मा गांधी के बारे में भी कुछ कहेंगे, क्योंकि उन्होंने सावरकर के लिए 'विश्वास सेवक' लिखा था?" सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महात्मा गांधी सावरकर का सम्मान करते थे और राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सावरकर को पत्र लिखा था।
जज बोले- राहुल गांधी ने उस जगह बयान दिया जहां वीर सावरकर की पूजा होती है
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने राहुल गांधी को चेतावनी देते हुए कहा, "आप महाराष्ट्र जाकर ऐसे बयान देते हैं, जहां वीर सावरकर की 'पूजा' की जाती है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आप ऐसी टिप्पणी क्यों कर रहे हैं?"
दरअसल, यह मामला राहुल गांधी द्वारा 2022 में महाराष्ट्र में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिए गए बयान से जुड़ा है। उन्होंने सावरकर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह अंग्रेजों से पेंशन ले रहे थे। राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ वकील नृपेंद्र पांडे ने निचली अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी।
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