पूर्वी राजस्थान का धौलपुर जिला शुरू से ही बजरी, बंदूकों, बागियों और अपराधियों के लिए मशहूर रहा है। जिले की चंबल घाटी लगभग सात दशकों से डाकुओं की शरणस्थली रही है। वजह साफ है, चंबल घाटी करीब 7 दशक से डाकुओं के कब्जे में है। दस्यु मलखान सिंह, दस्यु फूलन देवी, दस्यु जगजीवन परिहार, दस्यु पान सिंह तोमर, दस्यु पूनम पांडे और दस्यु जगन गुर्जर जैसे नाम यहां हैं.
लेकिन समय बदला, परिस्थितियां बदलीं और अपराध का तरीका भी बदल गया। पुलिस ने अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कई अभियान चलाए। अभियान के तहत पुलिस को एक के बाद एक नई सफलताएं हासिल होती रहीं। धीरे-धीरे डाकुओं का नाश होने लगा। धौलपुर पुलिस अधीक्षक सुमित मेहरा के नेतृत्व और टीम वर्क के चलते चंबल घाटी आखिरकार डाकुओं से मुक्त हो गई है। 23 अप्रैल 2024 को पुलिस ने 35 हजार रुपये के इनामी अंतिम अपराधी अजय उर्फ भगत को गिरफ्तार कर लिया और जिले को डकैत मुक्त घोषित कर दिया।
जिला लूटपाट से मुक्त हो गया।
जिले के करीब 70 साल के इतिहास में पहली बार जिला लुटेरों से मुक्त हुआ है, लेकिन पिछले एक साल के दौरान पुलिस ने 159 वांछित अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। गिरफ्तार बदमाशों में कुख्यात अपराधी धर्मेन्द्र उर्फ लुक्का भी शामिल है, जिस पर एक लाख रुपये से अधिक का इनाम था।
पुलिस अधीक्षक सुमित मेहरा ने बताया कि जिले की चंबल घाटी को डाकुओं से मुक्त कर दिया गया है। पुलिस रिकार्ड में अब कोई भी वांछित डाकू नहीं बचा है। अच्छी रणनीति और टीम वर्क की बदौलत पुलिस ने सभी खूंखार और वांछित अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। चंबल घाटी और डांग क्षेत्र डाकुओं से मुक्त हो जाएं तो समाज को बड़ी शांति मिलेगी।
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