"वो एफ़आईआर नहीं लिखवाती अगर वो (अभियुक्त) उसे अगले दिन कोचिंग से लौटते वक़्त न घूरता. वो डर गई थी और उसने 1098 पर फ़ोन कर दिया."
ये बात उत्तर प्रदेश में कासगंज गैंगरेप मामले की सर्वाइवर और उनके साढ़े सत्रह साल के मंगेतर ने हमसे बातचीत में कही.
घटना 10 अप्रैल की है, जब दोनों राशन कार्ड बनवाने के लिए गए थे. मंगेतर का कहना है कि वापस आने के दौरान कुछ लोगों ने लड़की से गैंगरेप किया.
इस मामले में एफ़आईआर 12 अप्रैल को दर्ज हुई. लड़की के मंगेतर का कहना है कि घटना के बाद दोनों बेहद डरे हुए थे और तय किया था कि किसी को कुछ नहीं बताएंगे.
लेकिन अगले ही दिन जब फिर से अभियुक्त लड़की के सामने आया और घूरने लगा तब लड़की ने 1098 हेल्पलाइन पर फ़ोन कर शिकायत दर्ज कराई.
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कासगंज की पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने बीबीसी को बताया, "इस मामले में सर्वाइवर के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो चुके हैं. मामले में अब तक आठ अभियुक्त गिरफ़्तार किए जा चुके हैं. दो की तलाश जारी है."
इस गैंगरेप के मामले में भारतीय न्याय संहित (बीएनएस) 2023 की धारा 70(2), 308(5), 126(2), 351(3) और 303(2) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस घटना के बाद पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा है कि इलाके की सुनसान जगहों का पहचान कर वहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है.
सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस ने 14 अप्रैल को लड़की के घर के बाहर और भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
इसके अलावा ने कहा है कि 'संवेदनशील स्थानों पर पुलिस गश्त और पिकेट की व्यवस्था की गई है.'

लड़की के गांव और मंगेतर के गांव के बीच की दूरी क़रीब 16 किलोमीटर है. बीबीसी दोनों के घरों तक पहुंचा.
लड़की का घर गांव के बाहरी छोर पर खेतों से सटा हुआ है. वहां सन्नाटे के बीच दरवाज़े के पीछे दो पुलिसकर्मी तैनात थे.
घर में दाख़िल होते ही एक पुलिसकर्मी ने हमारा परिचय पूछा. अंदर बीबीसी की मुलाक़ात मौसेरे भाई से हुई.
पहले तो वो बात करने को तैयार नहीं थे लेकिन बाद में उन्होंने कहा, "दो-तीन महीने पहले रोका (मंगनी) हुआ था. इस साल उन्होंने इंटर के एग्ज़ाम दिए हैं. शादी दो-तीन साल बाद करने का प्लान था."
कमरे में बच्चों के खेलने की आवाज़ें आ रही थीं. बरामदे में लड़की की साइकिल खड़ी थी, जिससे वो कोचिंग जाती हैं.
पेड़ के नीचे जानवर बंधे थे और आंगन में कुछ सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था. लेकिन इन तमाम हलचलों के बीच भी एक गहरा सन्नाटा पसरा था.
लड़की ने हमें बताया, "मेरे साथ चार लोगों ने गलत काम (रेप) किया है. ये कहते हुए वीडियो भी बनाया कि आगे काम आएगा. उन्होंने हमें घेर लिया था और तमंचा दिखाकर कहा कि किसी को नहीं बताना नहीं तो मार डालेंगे."
वो कहती हैं, "मैं बहुत डर गई थी. पहले दिन तो कुछ सोच नहीं पाई. अगले दिन भाई के साथ कोचिंग से लौट रही थी तो वो रास्ते में घूर रहा था. गांव तक पीछा किया. अगर भाई नहीं होता तो शायद कुछ गलत कर देता. तभी मैंने 1098 पर फ़ोन किया. सौरभ भैया नहीं होते तो किसी को पता भी नहीं चलता."
सौरभ यादव कासगंज चाइल्ड हेल्पलाइन प्रभारी हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया, "घटना के अगले दिन बच्ची ने घर पर बताया लेकिन उसे चुप करा दिया गया. फिर कोचिंग से उसने कंट्रोल रूम में फ़ोन किया और कहा कि मुझसे बात कराई जाए पर पुलिस को न बताया जाए."
जब सौरभ अगली सुबह घर पहुंचे तो दरवाज़ा नहीं खोला गया. डेढ़-दो घंटे समझाने के बाद परिवार ने बात सुनी और सहयोग के लिए तैयार हुआ.
लड़की का कहना है कि वो आईएएस बनना चाहती हैं, 'ताकि ऐसे क्राइम रोक सकूं.'
जब उनसे पूछा गया कि क्या अफ़सर बनने की सोच इस घटना के बाद आई तो वो कहती हैं, "नहीं. मैं नौवीं क्लास से अफ़सर बनने के वीडियो देखती आई हूं. मुझे पता है कि क्या पढ़ना है. मैं मेहनत करूंगी और अफ़सर बनकर रहूंगी."
घटना के बाद से लड़की की काउंसलिंग कर रहीं वन स्टॉप सेंटर की काउंसलर मनीषा पाठक ने बताया, "वो पहले दिन बहुत घबराई थी. लेकिन कल तक वो काफ़ी रिकवर हो गई है. मेडिकल और 164 के बयान होने के बाद उसे घर पहुंचा दिया गया है. अभी वो पढ़ना चाहती है. जब इस मामले में उसके घरवालों ने मदद नहीं की तो उसने अपनी मदद ख़ुद की."
'मैं उसे बचा नहीं सका, यही बात अब तक परेशान करती है'जब हम लड़की के मंगेतर के गांव पहुंचे तो वह अपने घर के बाहर बैठे मिले.
चेहरा उतरा हुआ था. उन्होंने कहा, "अब तक इस बात से उबर नहीं पाया हूं कि मैं उसकी रक्षा नहीं कर सका."
उनका कहना था कि घटना के बाद उन्हें सबसे ज़्यादा समाज की बातों और परिवार की नाराज़गी का डर था.
वो बताते हैं, "हम दोनों ने तय कर लिया था कि किसी को नहीं बताएंगे. बेइज़्ज़ती का डर था. अगर घर में बताते तो डांट पड़ती. इससे पहले मैंने कभी इन लड़कों को देखा भी नहीं था."
उन्होंने 10 अप्रैल की दोपहर की उस घटना के बारे में बताया.
उनके मुताबिक़ राशन कार्ड बनवाने के बाद जब वो गांव लौट रहे थे तो आम के पेड़ की छांव में बैठकर बिरयानी और कोल्डड्रिंक खा-पी रहे थे. तभी छह लोग वहां आए और सीधे पचास हज़ार रुपये की मांग करने लगे.
उनका कहना है, "मैंने कहा दो-ढाई हज़ार ले लो, लेकिन वो नहीं माने. मजबूरी में मैंने भाई को कॉल कर पांच हज़ार रुपये डलवाए. फिर उन्होंने लड़की के कान की बाली और पर्स से पैसे छीन लिए. हम सोच रहे थे कि बस लूट कर चले जाएंगे लेकिन फिर उन्होंने कहा-'दीवान जी' आ रहे हैं, यहीं रुको."
इसके कुछ देर बाद बाइक से तीन-चार और लोग पहुंचे. उन्होंने दोनों को एक किनारे झाड़ियों में ले जाकर अलग-अलग कर दिया.
मंगेतर आगे बताते हैं, "मुझे 20–30 मीटर दूर रोक दिया गया. लड़की को झाड़ियों की तरफ ले गए. कुछ ने फोटो-वीडियो बनाए कुछ ने ग़लत काम किया. वो लोग एक-डेढ़ घंटे तक उसे टॉर्चर करते रहे. मैं बहुत डर गया था. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं."
वो कहते हैं, ''बचपन में ही इसकी मां का देहांत हो गया था वो अकेली है बहुत. पिता ट्रक चलाते हैं पर उनसे कोई संबंध नहीं है. अपनी नानी के घर रहती है. मौसी-मौसा को मम्मी पापा कहती है. उन्हीं के लड़कों को अपना भाई मानती है."
मंगेतर ने कहा, "मैंने सोचा था इसे बहुत ख़ुश रखूँगा ताकि इसे कभी ऐसा न लगे कि इसका कोई नहीं है. पर मुझे क्या पता था कि इतना बुरा मेरे सामने होगा और मैं कुछ कर नहीं पाऊंगा."
मंगेतर ने बताया कि दोनों की दोस्ती इंस्टाग्राम पर शुरू हुई थी. एक साल के भीतर दोनों परिवारों की रज़ामंदी से रोका हो गया था. लड़की अभी नाबालिग़ है.
वो कहते हैं, ''हमने सोचा था जैसे वो 18 साल होंगी तब हम शादी कर लेंगे."
जब हमने मंगेतर की माँ से शादी को लेकर पूछा उन्होंने सहजता से कहा, "हम शादी करेंगे. उसका कोई अपना नहीं है. बहुत खुशदिल है. घटना तो किसी के साथ भी हो सकती है इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे अकेला छोड़ दें."
हालांकि उन्होंने अभियुक्तों के प्रभावशाली होने पर चिंता जताई, "अगर वो छूट गए तो मेरे बेटे का जीना दूभर कर देंगे. उन्हें सख्त सज़ा मिले."
हमने उस आम के पेड़ और नहर किनारे सुनसान जगह का मुआयना किया, जहां घटना हुई थी. दोपहर के वक़्त वहां कोई हलचल नहीं थी.
आसपास खेत ज़रूर थे, लेकिन उस समय कोई काम करता नज़र नहीं आया.
मंगेतर ने बताया कि अभियुक्तों ने चिल्लाने से मना किया था और डर इतना था कि वो विरोध भी नहीं कर पाए.
इस बीच 14 अप्रैल को कासगंज पुलिस ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने लड़की से मुलाक़ात की है और 5 लाख रुपये का चेक सौंपा है.
घर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है.
पुलिस ने ये भी बताया कि सुनसान और संवेदनशील इलाकों की पहचान कर वहां निगरानी बढ़ाई जाएगी.
लड़की के गांव में माहौल में सन्नाटा पसरा पड़ा है.
एक पड़ोसी महिला ने बताया, "हमारे गांव में ये पहली बार हुआ है. कोई उनके घर नहीं जाता. अब तो हर रोज पुलिस आती है, कैमरा भी लग गया है. घटना के बाद से सन्नाटा पसरा है. जब औरत होकर मुझे डर लगता है तो लड़कियों को और ज़्यादा लगता होगा."
इस गांव के ग्राम प्रधान ने बताया, "घटना के बाद से परिवार किसी से बात नहीं कर रहा है. जिस दिन डीएम मैडम आयी थीं, हम घर तक गये थे, पर पुलिस ने अंदर नहीं जाने दिया."
इस मामले में गिरफ़्तार सभी अभियुक्तों का डीएनए टेस्ट कराया जा चुका है. पकड़े गए आठ में से हमने दो अभियुक्तों के परिजनों से बात की.
अभियुक्त रिंकू, तीन भाई और तीन बहनों में सबसे छोटा है. हाल ही में जयपुर से गांव लौटा था, जहां वह छह महीने से सिलाई सीख रहा था.
रिंकू की मां कहती हैं, "सुबह चार बजे छत से सोते हुए पुलिस उठा ले गयी. चार पांच लोग आये थे. कुछ कारण नहीं बताया. अभी कहाँ रखा हमें कोई जानकारी नहीं. बेटे से मिलने के लिए तरस रहे हैं."
वहीं रिंकू के भाई ने साफ़ शब्दों में कहा, "अगर उसने अपराध किया है तो उसे कठिन से कठिन सजा मिले. अगर निर्दोष है तो उसे छोड़ दिया जाए. हम ग़रीब लोग हैं. मेहनत मजदूरी करके कमाते-खाते हैं."
रिंकू के घर से थोड़ी दूरी पर अभियुक्त सोनू का घर है.
रात के वक्त बिजली नहीं थी और घर अंधेरे में डूबा हुआ था. सोनू की छोटी बहन की शादी 18 अप्रैल को होनी है. वह ट्रैक्टर चलाकर रोज़ी-रोटी कमाता था.
सोनू की मां कहती हैं, "बहन की बारात में भाई नहीं होगा. घर में सूनापन है. कार्ड बंट गये हैं इसलिए शादी करनी पड़ेगी. शादी में खुशियाँ नहीं होंगी अब. अब तो नाम की शादी होगी."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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