इसराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने ग़ज़ा शहर पर नियंत्रण की योजना को मंज़ूरी दे दी है. इससे पहले प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इशारा दिया था कि वह पूरे ग़ज़ा पर नियंत्रण करने का इरादा रखते हैं. हालांकि उनका कहना था कि वह इसे 'अपने पास रखना नहीं चाहते.'
तो फिर ग़ज़ा में इस हथियारबंद समूह का भविष्य क्या है और गज़ा के लिए इसके परिणाम क्या होंगे?
नेतन्याहू के इस बयान से कुछ दिन पहले, हमास ने कहा था कि जब तक एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं हो जाती वह अपने हथियार नहीं डालेगा.
ग़ज़ा में युद्धविराम को लेकर चल रही वार्ता में इसराइल और अमेरिका की मुख्य मांग को लेकर हमास ने यह प्रतिक्रिया दी थी. इसराइल का कहना था कि हमास का निरस्त्रीकरण उसके उद्देश्यों में से एक है.
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इसराइल का मानना है कि संघर्ष समाप्त करने के किसी भी समझौते की प्रमुख शर्तों में से एक हमास का निरस्त्रीकरण है.
पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में सऊदी अरब और फ़्रांस की सह-अध्यक्षता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 17 देशों, यूरोपीय संघ और अरब लीग ने एक साझा घोषणा की थी.
इसमें हमास से हथियार डालने और ग़ज़ा का नियंत्रण छोड़ने की मांग की गई थी, ताकि युद्ध समाप्त हो सके.
ग़ज़ा पर बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले मिस्र और क़तर ने इस साझा बयान पर हस्ताक्षर किए. हालांकि इसराइल और अमेरिका ने इस पर दस्तख़त नहीं किए.
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हमास के एक नेता गाज़ी हमद ने 'अल-जज़ीरा' न्यूज़ से कहा कि यह समूह 'तब तक लड़ेगा जब तक आख़िरी गोली' बाक़ी है.
उनका यह बयान हमास के उस बयान को दोहराता है कि जब तक फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं होती, हमास हथियारबंद संघर्ष जारी रखने को तैयार है.
ग़ज़ा की अल-उम्मा यूनिवर्सिटी में फ़लस्तीनी राजनीति के जानकार प्रोफ़ेसर होस्साम अल-दजानी का मानना है कि इस सम्मेलन के बाद, 'न्यूयॉर्क घोषणा' की धारा 11 पर मीडिया का ध्यान बढ़ा है.
सम्मेलन में जारी एक औपचारिक घोषणा में धारा 11 का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है, "फ़लस्तीनी क्षेत्र में शासन, क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा, केवल फ़लस्तीनी प्राधिकरण के अधीन होनी चाहिए."
अल-दजानी बताते हैं कि इस दस्तावेज़ की बाकी 41 धाराओं में से कुछ में फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना और इसराइल के साथ सह-अस्तित्व की बात की गई है.
उनका कहना है कि इसका मतलब है कि यह घोषणा फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना के कई रास्ते सुझाती है.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर न्यूयॉर्क घोषणा का शेष हिस्सा लागू होता है, तो धारा 11 अपने आप लागू मानी जाएगी."
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हमास को अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा एक चरमपंथी संगठन के रूप में प्रतिबंधित किया गया है.
समूह ने कहा है कि अगर फ़लस्तीनी राज्य स्थापित होता है तो वह अपने हथियार भविष्य में बनने वाले फ़लस्तीनी प्राधिकरण को सौंप देगा.
विश्लेषकों का कहना है कि हमास ने ग़ज़ा में अपने नियंत्रण का बड़ा हिस्सा खो दिया है. इसके बावजूद हमास को अब भी इस क्षेत्र में शासन करते हुए देखा जाता है.
हाल ही में इस संगठन ने 'सहम' नाम की सुरक्षा इकाई बनाई है जिसे 'एरो यूनिट' के नाम से भी जाना जाता है. इसका मक़सद नागरिक व्यवस्था बनाए रखना और ग़ज़ा में आ रही राहत सामग्री की लूटपाट को रोकना है.
ग़ज़ा में फ़लस्तीनी नागरिकों ने हमास के प्रति बार-बार नाराज़गी जताई है और हमास के लड़ाकों ने विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई भी की है.
ग़ज़ा में खाद्य और राहत सामग्री बेहद सीमित है. राहत एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इलाक़े में लोग भुखमरी से मर रहे हैं.
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कई विश्लेषकों का मानना है कि हमास के लड़ाके अब पूरी तरह से दबाव में हैं. 2023 में जब उन्होंने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमले किए थे, तब उन्होंने इतनी कमज़ोर स्थिति की कल्पना नहीं की थी.
इसराइल की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के लगभग 22 महीने बाद हमास के लड़ाके अब थक चुके हैं.
ग़ज़ा में मौजूद स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस समूह के पास अब भी हथियार हैं लेकिन उसका भंडार कम हो रहा है.
उनका कहना है कि अब यह समूह इसराइल की बमबारी से बची-खुची सामग्री, ख़ासकर ऐसे बम जो फट नहीं सके, उन्हें हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.
हमास के लड़ाके विस्फोटकों को हटाकर उन्हें इम्प्रोवाइज़्ड विस्फोटक उपकरण (आईईडी) में बदलते हैं, ताकि इसराइली सैनिकों पर हमला किया जा सके.
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ग़ौरतलब है कि इसराइल बीबीसी सहित अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को ग़ज़ा में स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करने के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं देता है, इसलिए हम इस जानकारी की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकते.
क्षेत्रीय स्तर पर इस सशस्त्र समूह के पास अब बहुत कम सहयोगी बचे हैं.
इसराइल और ईरान के बीच 12 दिन चले युद्ध के बाद हमास को समर्थन देने की ईरान की क्षमता भी सीमित हो गई है.
ईरान समर्थित लेबनानी हथियारबंद समूह हिज़्बुल्लाह भी इसराइली हमलों और अपने नेताओं की हत्या की वजह से कमज़ोर हुआ है.
अरब लीगअरब लीग ने हमास के निरस्त्रीकरण की मांग वाले 'न्यूयॉर्क घोषणा' पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस संगठन में 22 सदस्य देश हैं, जिनमें क़तर जैसे वो देश भी शामिल हैं जो आमतौर पर हमास के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रुख़ रखते हैं और उसके सहयोगी माने जाते हैं.
लंदन स्थित वैश्विक मामलों पर थिंक टैंक चैथम हाउस के वरिष्ठ सलाहकार प्रोफ़ेसर योसी मेकेलबर्ग का मानना है कि इसराइल और अमेरिका अपनी पहले की स्थिति पर ही टिके हुए हैं.
लेकिन उनका कहना है कि अरब देशों का रुख़ अब बदल गया है. वे कहते हैं कि अरब और क्षेत्रीय ताक़तों की ओर से बढ़ता दबाव हमास को 'काफ़ी हद तक अलग-थलग' कर सकता है.
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हमास अब भी 7 अक्तूबर 2023 को अगवा किए गए इसराइली बंधकों में से बचे लोगों को सौदेबाज़ी के लिए इस्तेमाल कर रहा है.
इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और हमले के दौरान हमास ने 251 लोगों को बंधक बना लिया था.
ग़ज़ा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसके बाद शुरू हुए इसराइली हमलों में ग़ज़ा में अब तक 61 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
अमेरिका का मानना है कि इन बंधकों में से कम से कम 20 अब भी ज़िंदा हैं और ग़ज़ा में हैं, जबकि कुछ बंधकों की मौत हो चुकी है और कुछ इसराइल वापस लौट आए हैं.
अगस्त की शुरुआत में हमास ने बंधक एवितियार डेविड का एक वीडियो जारी किया. इसमें वे बहुत कमज़ोर और कुपोषित नज़र आ रहे थे.
विश्लेषकों का कहना है कि हमास को उम्मीद थी कि यह वीडियो बंधकों के परिजनों को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर जंग ख़त्म करने का दबाव डालने के लिए प्रेरित करेगा.
वीडियो सामने आने के बाद परिजनों ने नेतन्याहू से बंधकों को रिहा कराने को प्राथमिकता देने की अपील की.
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अक्तूबर 2023 के बाद से इसराइल ने हमास के कई शीर्ष नेताओं की हत्या की है. इनमें संगठन के प्रमुख इस्माइल हनिया भी शामिल हैं. उन्हें ईरान की राजधानी में हुए एक हमले में मार दिया गया था.
याह्या सिनवार, जिन्हें 7 अक्तूबर के हमलों की योजना बनाने वाला प्रमुख शख़्स माना जाता है, उन्हें भी मारा जा चुका है.
प्रोफ़ेसर मेकेलबर्ग के अनुसार, ग़ज़ा के भीतर और बाहर मौजूद हमास नेताओं के हित अलग-अलग हैं.
मेकेलबर्ग कहते हैं, "शारीरिक रूप से ज़िंदा रहने की प्राथमिकता से आगे बढ़कर वे राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास समझौते तक पहुंचने के लिए अभी भी समर्थन है."
लेकिन संगठन की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए, इसके बचे हुए नेताओं को कड़े फ़ैसले लेने होंगे.
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गुरुवार, 7 अगस्त 2025 को ग़ज़ा पर 'पूर्ण नियंत्रण' स्थापित करने और 'हमास को हटाने' की प्रधानमंत्री नेतन्याहू की घोषणा के बाद, हमास के विकल्प दिन-ब-दिन सीमित होते जा रहे हैं.
सवाल ये है कि न टाइपो दक्या हमास ग़ज़ा में इस युद्ध में बचा रह पाएगा?
अगर एक फ़लस्तीनी राज्य स्थापित होता है और हमास अपने किए वादों पर ख़रा उतरता है तो वह हथियार छोड़ देगा.
हालांकि, जब तक कि इसराइल की मौजूदा सरकार अपना रुख़ न बदले, फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना की संभावना कम ही नज़र आती है. लेकिन ऐसा होने की स्थिति में भी यह ज़रूरी नहीं कि हमास का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा.
चैथम हाउस के योसी मेकेलबर्ग का अनुमान है कि यह समूह भविष्य में खुद को 'नए रूप में ढालने' की कोशिश कर सकता है, और फ़लस्तीनी राजनीति का हिस्सा बना रह सकता है.
यह बदलाव फ़लस्तीनी क्षेत्रों के भीतर से भी हो सकता है और बाहर से भी.
यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि फ़लस्तीनी राज्य को लेकर इसराइल का रुख़ क्या है.
साथ ही ये इस पर भी निर्भर करता है कि ग़ज़ा में जिस तरह लोग बेहद मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं, उसके बाद जनता के बीच हमास को लेकर कितना समर्थन बचा रहता है.
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