वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ क्रांति गौड़ जब गेंदबाज़ी कर रही थीं तब एक बड़ी सी स्क्रीन के सामने कुछ लोग टकटकी लगाए उन्हें देख रहे थे. क्रांति गौड़ ने ओपनर सदफ़ शम्स को आउट किया तो ये लोग ख़ुशी से झूम उठे.
जहां ये भीड़ जमा हुई थी वहां क्रांति ने पहली बार लेदर बॉल से मैच खेला था. जगह है मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले का घुवारा कस्बा, यहां से निकलकर क्रांति गौड़ ने टीम इंडिया तक का सफ़र तय किया.
क्रांति के भाई मयंक सिंह बीबीसी को बताते हैं, "जहां पर क्रांति ने पहला लेदर बॉल मैच खेला था वहां हमने बड़ी स्क्रीन लगवाई. भारत ने मैच जीता और हमें बहुत ख़ुशी हुई. इससे भी ज़्यादा ख़ुशी तब हुई जब क्रांति को प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया."
क्रांति ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 10 ओवरों में 20 रन देकर तीन विकेट लिए. इस दौरान उन्होंने तीन मेडन ओवर फेंके और इकॉनमी सिर्फ़ 2.00 थी.
प्लेयर ऑफ़ द मैच बनने के बाद क्रांति गौड़ ने कहा, "यह मेरे और मेरे परिवार के लिए प्राउड मूमेंट है. मेरा डेब्यू श्रीलंका में हुआ था और यहां मुझे प्लेयर ऑफ़ द मैच मिला. मैं चाहती हूं कि मैं और ज़्यादा स्पीड से गेंदबाज़ी करूं."


मई, 2025 में क्रांति गौड़ ने श्रीलंका में हुई वनडे त्रिकोणीय सिरीज़ से डेब्यू किया लेकिन उन्हें असली पहचान इंग्लैंड दौरे से मिली.
22 जुलाई 2025 को चेस्टर-ले-स्ट्रीट में तीसरे और अंतिम वनडे में क्रांति ने अपनी गेंदबाज़ी के दम पर भारत को 13 रन से जीत दिलाई.
उन्होंने इस मैच में 52 रन देकर छह विकेट लिए और 21 साल 345 दिन की उम्र में महिलाओं के वनडे में भारत की ओर से सबसे कम उम्र में पांच विकेट लेने वाली खिलाड़ी बन गईं. क्रांति ने यह उपलब्धि झूलन गोस्वामी के रिकॉर्ड को तोड़कर हासिल की थी.
इस मैच में कप्तान हरमनप्रीत कौर ने शतक लगाया था और उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया था. क्रांति के प्रदर्शन को देखते हुए हरमनप्रीत ने यह अवॉर्ड क्रांति के साथ साझा किया था.
तब हरमनप्रीत ने कहा था, "मैं अपना अवॉर्ड क्रांति के साथ शेयर करना चाहती हूं क्योंकि इन्होंने बहुत अच्छी गेंदबाज़ी की है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है और भारतीय टीम को क्रांति जैसी तेज़ गेंदबाजों की सख़्त ज़रूरत है."
इस प्रदर्शन के बाद उन्हें 2025 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुना गया.
लड़कों के साथ खेलने से शुरुआत
आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वालीं क्रांति गौड़ की शुरुआत टेनिस बॉल क्रिकेट में लड़कों के साथ खेलने से हुई है क्योंकि उनके घर के आस-पास लड़कियां क्रिकेट नहीं खेलती थीं.
में क्रांति बताती हैं, "घर के सामने एक ग्राउंड है वहां कुछ लड़के क्रिकेट खेल रहे थे. लड़कियां भी साइड में अपना गेम खेल रही थीं लेकिन मुझे ऐसा लगा कि मुझे क्रिकेट खेलनी चाहिए. फिर सब लड़कियां एक साइड खेलती थीं और मैं लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी."
इसके बाद अपने भाई के साथ क्रांति आस-पास के टेनिस बॉल टूर्नामेंट में भी हिस्सा लेने लगीं. हालांकि, इस दौरान उन्हें सामाजिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा.
क्रांति कहती हैं, "लड़कों के साथ खेलने पर मुझे मां से डांट भी सुनने को मिलती थी. वो कहती थीं कि ये तो लड़कों का खेल है लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी समझ आया कि लड़कियां भी क्रिकेट खेल सकती हैं."
साल 2017 में छतरपुर ज़िले में 'स्वर्गीय श्री राज बहादुर सिंह बुंदेला स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट' हुआ. इसमें एक मैच लड़कियों का भी था. क्रांति बतौर दर्शक इस मैच को देखने पहुंची थीं और जब घर लौटीं तो उनके हाथ में प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड था.
वह बताती हैं, "लड़कियों की दो टीमें थीं- नौगांव और सागर. मैं तो बस लड़कियों का मैच देखने गई थी. तभी वहां सागर टीम के कोच सोनू सर ने मुझसे पूछा कि क्या तुम मैच खेलोगी क्योंकि हमारी टीम में एक लड़की कम है. मैंने हां कर दिया. यह लेदर बॉल से मेरा पहला मैच था. इसमें मैंने 25 रन बनाए और 2 विकेट लिए. मुझे प्लेयर ऑफ़ द मैच मिला."
मयंक सिंह का कहना है कि चुनौतियां बहुत थीं लेकिन परिवार ने कभी हार नहीं मानी. मयंक छह भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं और क्रांति सबसे छोटी.
उनका कहना है, "क्रांति ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत की तो इलाक़े के लोग सवाल खड़ा करते थे. लेकिन हमारा परिवार हर मोड़ पर उसके साथ रहा. जब से क्रांति ने टीम इंडिया के लिए खेला है तब से सवाल खड़े करने वाले लोग भी उसका समर्थन करते हैं."
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2017 में एक मैच के दौरान क्रांति की मुलाक़ात उनके कोच राजीव बिल्थरे से हुई. राजीव बिल्थरे छतरपुर में एक क्रिकेट अकादमी चलाते हैं. क्रांति ने अपने पिता से ज़िद की कि वह अकादमी में जाकर क्रिकेट सीखना चाहती हैं.
बीबीसी से बातचीत में कोच राजीव बिल्थरे कहते हैं, "2017 में हमारी टीम टीकमगढ़ ज़िले में एक टूर्नामेंट खेल रही थी. तब इनके पिता मुन्ना सिंह क्रांति को लेकर वहां आए थे. उनका कहना था कि हमारी बच्ची लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती है और मैं चाहता हूं कि आप इन्हें क्रिकेट सिखाएं."
यह वह दौर था जब क्रांति का परिवार आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा था. पिता पुलिस विभाग की नौकरी से सस्पेंड हो गए थे और भाई के पास भी नौकरी नहीं थी. ऐसे में कोच ने क्रांति की रहने से लेकर क्रिकेट के लिए सामान मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी उठाई.
क्रांति उन दिनों को याद करते हुए बताती हैं, "एक समय ऐसा आया था कि हमें खाने के लिए भी उधार लेना पड़ता था और लोगों से वादा करते थे कि हम आपको वापस लौटा देंगे. कहते हैं न कि बुरे वक़्त में कोई साथ नहीं देता है, तो जब हमारा बुरा वक़्त आया तो किसी ने साथ नहीं दिया."
"ऐसे वक़्त में मुझे प्रैक्टिस के लिए जाना होता था तो कोई पैसे उधार भी नहीं देता था. उस टाइम मुझे मम्मी ने अपने गहने बेचकर मैच खेलने भेजा था."

भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हार्दिक पंड्या की गिनती दुनिया के बेहतरीन ऑलराउंडरों में होती है. क्रांति गौड़ हार्दिक पंड्या को अपना रोल मॉडल मानती हैं.
वह बताती हैं, "जब मैं पेस डालती थी तो मैं हार्दिक पंड्या को फ़ॉलो करती थी. उनकी गेंदबाज़ी के वीडियो देखती थी. मुझे उनका एटीट्यूड बहुत अच्छा लगता है. मैं जब भी उन्हें देखती तो सोचती थी कि जब भी मैं बड़ी खिलाड़ी बनूंगी तो हार्दिक पंड्या जैसा एटीट्यूड रखूंगी. मैंने शुरू से ही सोच लिया था कि हार्दिक पंड्या बनना है."
हार्दिक पंड्या को रोल मॉडल मानने के पीछे एक बड़ी वजह उनकी ऑलराउंडर क्षमता है. हालांकि, अभी वह टीम इंडिया में बतौर तेज़ गेंदबाज़ खेलती हैं.
कोच राजीव बिल्थरे का कहना है, "क्रांति असल में ऑलराउंडर है. उसकी बैटिंग बहुत अच्छी है. आगे चलकर वो बल्लेबाज़ी में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी. अभी इंडिया में पहले से अच्छी ऑलराउंडर हैं. लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि वो एक दिन टीम इंडिया में ऑलराउंडर की भूमिका में दिखेगी."
मध्य प्रदेश के लिए खेलने वालीं क्रांति गौड़ विमेंस प्रीमियर लीग में यूपी वॉरियर्स के लिए खेलती हैं.
का कहना है, "क्रांति गौड़ मुझे अच्छी खिलाड़ी लगती हैं क्योंकि ये हर मुक़ाबले में पहले से बेहतर करने की कोशिश करती हैं. जिस तरह से उन्होंने विकेट लीं वो काबिल-ए-तारीफ़ है."
क्रांति ने अब तक 9 वनडे मैच खेले हैं और 18 विकेट लिए हैं. उम्र में वो बहुत छोटी (22 साल) हैं लेकिन टीम इंडिया को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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