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अमेरिका ने भारत को लेकर कहा- यह धोखा है, जयशंकर ने रूस में कहा- अमेरिका ने ही कहा था

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Getty Images ट्रंप प्रशासन में ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने रूस से तेल ख़रीदने पर भारत को निशाने पर लिया है

रूस से तेल ख़रीदने को लेकर अमेरिकी प्रशासन का भारत पर आरोपों का सिलसिला जारी है.

हालांकि अमेरिका की नाराज़गी का कितना असर भारत-रूस संबंधों पर पड़ेगा, इसे देखा जाना बाक़ी है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस में हैं और उन्होंने द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत करने की बात कही है. इस साल के अंत तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आने वाले हैं.

दूसरी तरफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और अब व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत को निशाने पर लिया है.

नवारो ने यूक्रेन युद्ध में भारत की कथित भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि भारत को रूसी तेल की ज़रूरत की बात बकवास है.

भारत रूस से तेल ख़रीदकर कर मुनाफ़ा कमा रहा है और रूसी तेल का "लॉन्ड्रोमैट" ( सेल्फ सर्विस लॉन्ड्री सर्विस) बन गया है.

नवारो का बयान ऐसे समय में आया है, जब रूस पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका ने ही भारत से इंटरनेशनल मार्केट में तेल की आपूर्ति और इसके दामों को स्थिर करने के लिए रूस से तेल ख़रीदने को कहा था.

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अमेरिका ने फिर साधा निशाना image Getty Images पीटर नवारो ने कहा है कि यूक्रेन में शांति का रास्ता भारत से गुजरता है.

नवारो ने पत्रकारों से कहा कि ये बार-बार कहा जा रहा है कि भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूसी तेल की ज़रूरत है. लेकिन वास्तव में भारत को इसकी कोई ज़रूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, ''दरअसल यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर जाता है. लेकिन भारत रूसी तेल की रिफाइनिंग का लॉन्ड्रोमैट बन गया है. इसके ज़रिये वह ख़ुद तो मुनाफ़ा कमा ही रहा है, साथ ही परोक्ष तौर पर यूक्रेन युद्ध में रूस की फंडिंग भी कर रहा है.''

उन्होंने चेतावनी दी कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर लगाए जाने वाले टैरिफ़ को दोगुना करने की डेडलाइन 27 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाएंगे.

नवारो ने कहा, "भारत हमसे सामान बेचकर जो पैसा कमाता है, उसी से रूसी तेल ख़रीदता है. फिर रिफ़ाइनरी में प्रोसेस कर ढेर सारा मुनाफ़ा कमाता है. लेकिन रूस उस पैसे से और हथियार बनाता है और यूक्रेनियों को मारता है. नतीज़तन अमेरिकी टैक्सपेयर्स को यूक्रेन को और ज़्यादा सैन्य मदद देनी पड़ती है. यह तो पागलपन है.''

नवारो ने कहा, ''भारत यूक्रेन में हो रहे खू़न-ख़राबे में अपनी भूमिका को मानने को तैयार नहीं है. इसके बजाय वह शी जिनपिंग के क़रीब जा रहा है. मुझे भारत से आ रहे उस प्रोपेगेंडा का जवाब देना पड़ा, जो लोगों को भारत के लिए सहानुभूति दिलाने की कोशिश कर रहा था.''

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हालांकि उन्होंने भारत की नेतृत्व क्षमता की तारीफ़ भी की लेकिन ये भी कहा कि वो रास्ता बदले.

नवारो ने कहा "मैं भारत से प्यार करता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महान नेता हैं. लेकिन भारत जो कर रहा है उससे यूक्रेन में शांति नहीं आने वाली. भारत देखे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसकी भूमिका क्या है. अभी आप (भारत) शांति कायम करने के बजाय युद्ध को और लंबा खींच रहे हैं. ''

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'भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ लगना तय' image Getty Images भारत का कहना है कि वो रूस के तेल का सबसे बड़ा ख़रीदार नहीं है

नवारो ने कहा कि भारत ज़्यादा टैरिफ़ लगाता है. टैरिफ़ के साथ वो नॉन टैरिफ़ बैरियर भी लगाता है.

नवारों ने पत्रकारों से कहा, '' उनके टैरिफ़ ऊंचे हैं. ये महाराजा टैरिफ़ है. साथ ही वो ऊंचे नॉन टैरिफ़ बैरियर भी लगाते हैं. अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है. इससे अमेरिकी कामगारों और कारोबारों को नुक़सान होता है. भारत हमें सामान बेचकर मिले पैसे से रूसी तेल ख़रीदता है. हम 25 फ़ीसदी टैरिफ़ इसलिए लगा रहे हैं कि भारत हमें ट्रेड में धोखा देता है और 25 फ़ीसदी इसलिए कि वो रूस से तेल ख़रीद रहा है.

नवारो बोले सिर्फ छह दिन में आप देखेंगे कि भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ लगने वाला है.

जयशंकर ने क्या कहा? image Getty Images भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस से तेल ख़रीदने के आरोपों का जवाब दिया है.

नवारो का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब रूस यात्रा पर पहुँचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत न तो रूसी तेल का सबसे बड़ा ख़रीदार है और न ही 2022 के बाद रूस के साथ सबसे बड़ी व्यापारिक बढ़त वाला देश है.

उन्होंने कहा कि भारत तो वो देश है, जिसे अमेरिका ने ही रूस से तेल ख़रीदने के लिए कहा था ताकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दाम और आपूर्ति स्थिर रहे.

जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोफ़ के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हम रूसी तेल के सबसे बड़े ख़रीदार नहीं हैं. सबसे बड़ा ख़रीदार चीन है. हम रूसी गैस के भी सबसे बड़े ख़रीदार नहीं हैं. मुझे पक्का तो नहीं पता लेकिन लेकिन मुझे लगता है, इसका सबसे बड़ा ख़रीदार तो यूरोपियन यूनियन है. ''

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भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, "भारत वो देश भी नहीं है, जिसका रूस के साथ 2022 के बाद सबसे ज़्यादा व्यापार बढ़ा हो. मेरा मानना है कि वो दक्षिण के कुछ देश हैं. ऐसे में हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम पर टैरिफ़ क्यों लगाया जा रहा है.''

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50 फ़ीसदी टैरिफ़ भारत के लिए मुसीबत image Getty Images भारत अमेरिकी बाज़ार के लिए अपना 18 फ़ीसदी निर्यात करता है

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है. भारत अमेरिकी बाज़ार के लिए अपना 18 फ़ीसदी निर्यात करता है. यह भारत की जीडीपी का 2.2 फ़ीसदी है.

कुछ अनुमानों के मुताबिक़ 50 फ़ीसदी टैरिफ़ की वजह से भारत की जीडीपी में 0.2 से 0.4 फ़ीसदी तक गिरावट आ सकती है. इससे इस साल आर्थिक विकास छह फ़ीसदी से नीचे जा सकता है.

इस बीच, भारत और चीन के बीच नज़दीकी बढ़ने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं. नवारो ने अपने ताज़ा बयान में भारत को इसके लिए भी निशाने पर लिया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन जाएंगे. चीन ने भारत के ख़िलाफ़ लगाए गए अमेरिकी टैरिफ़ की आलोचना की है.

चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस सप्ताह भारत आए थे और उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी.

क्या भारत जवाब देगा image Getty Images कूटनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि भारत भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ़ लगा सकता है

कूटनीतिक हलकों में ये सवाल भी उठाया जा रहा है कि क्या भारत इसका जवाब देगा?

बीबीसी की एक रिपोर्ट में बार्कलेज रिसर्च के हवाले से कहा गया है कि भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना कम है लेकिन यह नामुमकिन भी नहीं है, क्योंकि पहले इसका उदाहरण मिल चुका है.

बार्कलेज ने एक नोट में लिखा, "2019 में भारत ने अमेरिका की ओर से स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ़ लगाने के जवाब में सेब और बादाम जैसी चीज़ों पर 28 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाया था. इनमें से कुछ टैरिफ़ 2023 में डब्ल्यूटीओ के दखल के बाद वापस ले लिए गए थे.

नवारो की धमकी पर विशेषज्ञों ने क्या कहा image Disney via Getty Images ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने नवारों के बयान की आलोचना की है

रूस से तेल ख़रीदने पर भारत के ख़िलाफ़ दिए गए बयान पर विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया दी है.

ट्रंप केपहले कार्यकाल मेंराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहेजॉन बोल्टनने कहा, ''रूस के लगाए गए प्रतिबंध भारत को वो करने से रोक नहीं पाया जो वो करता रहा है. अगर आपको भारत का रूसी तेल ख़रीदना पसंद नहीं है, तो प्रतिबंधों को बदलिए. सभी को रूसी तेल ख़रीदने से रोक दीजिए.''

एक और पूर्व सलाहकार ईवान ए. फिजेनबॉमने कहा, ''यह बिल्कुल बकवास है. पहले कहा जा रहा था कि जंग के लिए ज़िम्मेदार रूस है. इसे चीन और दूसरे देशों ने मदद दी है. अब कहा जा रहा है कि "जंग के लिए ज़िम्मेदार यूक्रेन है. इस युद्ध को भारत ने मदद दी. इन लोगों ने जिस तरह अलग-अलग देशों पर युद्ध का ठीकरा फोड़ना शुरू किया है, उससे अमेरिका-भारत संबंधों को मज़बूत बनाने में लगी पिछले 25 सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. यह बात भारत में बिल्कुल नहीं जमेगी.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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