एक बार एक गधे ने बाघ से कहा कि घास का रंग नीला होता है। लेकिन बाघ नहीं माना। उसने कहा कि घास का रंग हरा होता है। गधे ने फिर बाघ से कहा कि तुम गलत कह रहे हो। घास का रंग नीला ही होता है। बाघ भी गधे की बात मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस बात को लेकर दोनों में बहस छिड़ गई। बाद में दोनों ने तय किया कि हम जंगल के राजा शेर के पास जाएंगे और पूछेंगे कि घास का रंग कैसा होता है।
दोनों यह पूछने के लिए शेर के पास चले गए। गधे ने बोला कि महाराज यह देखो मैं कह रहा हूं कि घास का रंग नीला होता है। लेकिन यह बाघ नहीं मान रहा। मुझसे बहस कर रहा है। आप ही न्याय करें और इस बाघ को सजा दे।
शेर ने भी कहा कि गधा सही कह रहा है। इस कारण बाघ को 1 साल की सजा मिलती है। शेर की यह बात सुनकर बाघ और जंगल के जानवर हैरान हो गए। बाघ शेर के पास गया और कहा कि महाराज घास का रंग तो हरा होता है। लेकिन आप मुझे सजा क्यों दे रहे हैं।
शेर ने बाघ से कहा कि घास का रंग हरा होता है। लेकिन तुम एक अकलमंद, बुद्धिमान और चालाक प्राणी हो। फिर भी इस जैसे मूर्ख प्राणी से बहस कर रहे हो। यह तुम्हारी गलती है और इसलिए तुम्हें सजा मिली है। तुमको ध्यान रखना चाहिए कभी भी किसी मूर्ख के साथ बात नहीं करनी चाहिए।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि कभी भी किसी मूर्ख के साथ बहस नहीं करनी चाहिए। इससे समय और मेहनत दोनों ही बर्बाद होते हैं और अंत में बुद्धिमान व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ता है।
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