केंद्रीय वाणिज्य और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में एक कार्यक्रम में विदेशी रेटिंग एजेंसियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 के विकास लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए एक मजबूत और विश्वसनीय रेटिंग संस्थान की आवश्यकता है। गोयल ने यह भी बताया कि वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की रेटिंग को लंबे समय तक स्थिर रखा है, जबकि देश में बुनियादी ढांचा मजबूत है। उन्होंने केयरएज के कार्यक्रम 'द डायलॉग' में कहा कि हमें अपनी विश्वसनीय रेटिंग संस्थान स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
निवेश के लिए रेटिंग का महत्वउन्होंने कहा कि निवेशक रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग पर ध्यान देते हैं, जो निवेश और व्यावसायिक विश्वास को प्रभावित करती है। यह विश्वास पूंजी और ऋण प्रवाह को बढ़ावा देता है। बैंक भी रेटिंग को एक महत्वपूर्ण मानदंड मानते हैं, जिससे उद्यमियों को बड़े कदम उठाने में मदद मिलती है और रोजगार सृजन होता है।
छोटी समस्याओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करनागोयल ने यह भी कहा कि कुछ रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था में छोटी समस्याओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती हैं। उन्होंने केयरएज से आग्रह किया कि वे निवेशकों और बैंक कर्मचारियों की मदद में जिम्मेदार भूमिका निभाएं। मंत्री ने अपनी टीम को स्वदेशी रेटिंग एजेंसी की रेटिंग को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है।
एमएसएमई की तुलना बड़ी कंपनियों सेगोयल ने मौजूदा क्रेडिट रेटिंग प्रणाली को “हास्यास्पद” बताया। उन्होंने कहा कि MSME का मूल्यांकन अरबों डॉलर की कंपनियों के समान मानदंडों पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, 100-200 करोड़ रुपये की एक छोटी इंजीनियरिंग कंपनी को JSW स्टील जैसी बड़ी कंपनी के साथ बेंचमार्क किया जाता है, जो कि 100 अरब डॉलर की कंपनी है। यह तुलना उचित नहीं है।
तुलना की आवश्यकताउन्होंने कहा कि AAA रेटिंग वाली छोटी कंपनियों की कमी मौजूदा दृष्टिकोण की खामियों को दर्शाती है। गोयल ने कहा कि 100-200 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली एमएसएमई को 50,000 या 1,00,000 करोड़ रुपये वाली कंपनी के साथ कैसे तुलना की जा सकती है? उन्होंने केयरएज से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे को नियामकों के साथ उठाएं और कंपनियों की तुलना उनके आकार के अनुसार की जानी चाहिए।
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