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अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या और 'डंकी रूट' की कहानी

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अमेरिका से स्वदेश लौटे 104 अवैध प्रवासी

अमेरिका का सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर बुधवार को अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें 104 अवैध भारतीय प्रवासी स्वदेश लौटे। इनमें से 30 पंजाब, 33-33 हरियाणा और गुजरात, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, तथा दो चंडीगढ़ से हैं। अमेरिका में लगभग 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों की पहचान की गई है, जिन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।


अवैध प्रवासियों की संख्या और उनके हालात

रिपोर्टों के अनुसार, अवैध भारतीय प्रवासियों की संख्या दशकों से बढ़ रही है। प्यू रिसर्च की 2024 की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में 725,000 अवैध भारतीय प्रवासी हैं, जो कुल अवैध प्रवासियों का केवल 3% हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सेक्युरिटी के अनुसार, 2022 तक लगभग 220,000 अवैध भारतीय अमेरिका में रह रहे थे। ये प्रवासी विभिन्न शहरों में काम करते हैं, जैसे फ्लोरिडा, टेक्सास, और न्यूयॉर्क।


कागजात और कानूनी प्रक्रिया

अधिकतर अवैध प्रवासियों के पास कुछ न कुछ कागजात होते हैं, लेकिन ये पूरी तरह से वैध नहीं होते। ये कागजात अक्सर एजेंटों से प्राप्त होते हैं, और इनकी शरण की मांग के मामले अदालतों में वर्षों तक चलते हैं। इस प्रक्रिया को अमेरिका में 'क्वैसी लीगल' कहा जाता है।


खतरनाक 'डंकी रूट' से अमेरिका में दाखिल

अमेरिका में पहुंचने के लिए भारतीय प्रवासी अपनी जान की बाजी लगाते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, गुजरात और पंजाब के लोग सबसे अधिक संख्या में हैं। ये लोग 'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका में दाखिल होते हैं, जिसमें उन्हें पहले संयुक्त अरब अमीरात और फिर लैटिन अमेरिकी देशों के माध्यम से अमेरिका-मैक्सिको सीमा तक पहुंचाया जाता है।


कनाडा रूट से बढ़ती घुसपैठ

हाल के वर्षों में, कनाडा रूट से अवैध प्रवासियों की संख्या में तेजी आई है। रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में कनाडा बॉर्डर पर 30,010 भारतीय और मैक्सिको बॉर्डर पर 41,770 भारतीय पकड़े गए।


अवैध प्रवासियों की संख्या और ट्रंप प्रशासन

यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट के अनुसार, अमेरिका में 1.4 मिलियन अवैध प्रवासी हैं, जिनमें से 17,940 भारतीय हैं। ट्रंप प्रशासन के दौरान अवैध प्रवासियों को निकालने की प्रक्रिया तेज हुई थी, लेकिन बाइडेन प्रशासन के दौरान यह संख्या कम हुई।


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