घुटनों का ट्रांसप्लांट
दिल्ली के एक अस्पताल में, 78 वर्षीय महिला के घुटनों का ट्रांसप्लांट किया गया। इस प्रक्रिया के बाद, आमतौर पर मरीज को कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है, लेकिन डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट के 12 घंटे बाद ही उन्हें छुट्टी दे दी। यह संभव हुआ क्योंकि सर्जरी में एआई रोबोट का उपयोग किया गया था। यह घटना दिखाती है कि कैसे उन्नत रोबोटिक तकनीक और चिकित्सा विशेषज्ञता का संयोजन वृद्ध मरीजों की रिकवरी को तेज और सरल बना सकता है।
यह सर्जरी मैक्स मल्टी स्पेशलिटी सेंटर के चिकित्सकों द्वारा की गई। महिला कमलेश बजाज को पिछले चार वर्षों से बाएं घुटने में तीव्र दर्द का सामना करना पड़ रहा था, जिससे चलना और सीढ़ियाँ चढ़ना मुश्किल हो गया था। एक साल पहले उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई थी, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थीं। जब दर्द बढ़ा, तो उन्होंने मैक्स अस्पताल में इलाज के लिए संपर्क किया। एक्स-रे और अन्य परीक्षणों से पता चला कि उनके घुटने का जोड़ आर्थराइटिस के कारण गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था।
ऑपरेशन के तीन घंटे बाद मरीज ने चलना शुरू कियामैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के अध्यक्ष डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने बताया कि मरीज को सुबह भर्ती किया गया और सर्जरी के तीन घंटे बाद ही उन्होंने चलना शुरू कर दिया। उन्हें ऑपरेशन के दिन ही बिना किसी दर्द के डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. भट्टाचार्जी ने कहा कि एआई की मदद से जॉइंट रिप्लेसमेंट में नई संभावनाएँ खुल रही हैं। इस मामले में, 78 वर्षीय महिला ने टोटल नी रिप्लेसमेंट के बाद उसी दिन चलकर घर जाने में सफलता प्राप्त की। पहले ऐसे मामलों में रिकवरी में कई दिन लगते थे।
घुटनों के ट्रांसप्लांट की आवश्यकता क्यों होती हैडॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ घुटनों के जोड़ कमजोर हो जाते हैं। कुछ मामलों में दवा और थेरेपी से सुधार की कोशिश की जाती है, लेकिन जब इससे राहत नहीं मिलती, तो घुटनों का ट्रांसप्लांट किया जाता है। सामान्य सर्जरी में मरीज को ठीक होने में कई दिन लगते हैं और अस्पताल से छुट्टी भी कुछ दिन बाद मिलती है, लेकिन एआई रोबोट की मदद से सर्जरी के तीन घंटे बाद ही महिला चलने लगी और उसे एक दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
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