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ठंडे पानी से स्नान के फायदे और नुकसान: क्या कहता है आयुर्वेद?

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आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। ठंडे पानी का उपयोग करना आवश्यक है, क्योंकि इसका तापमान सामान्य रहता है, जिससे शरीर को कोई हानि नहीं होती। ठंडे पानी से स्नान करने से आपकी आदतों में सुधार हो सकता है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है, तनाव को कम करता है, और ऊर्जा तथा सतर्कता को बढ़ाता है।


प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव

डॉ. क्रिस वैन टोलकेन के अनुसार, ठंडे पानी से स्नान के लाभों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। 2016 में पीएलओएस वन पत्रिका में एक डच अध्ययन प्रकाशित हुआ था, जिसमें पाया गया कि 90 दिनों तक रोजाना ठंडे स्नान करने से 29% लोगों में बीमारियों की कमी आई।


वैज्ञानिक अनुसंधान

यह स्पष्ट है कि ठंडे पानी के संपर्क में आने से शरीर कांपता है, लेकिन इसके अलावा ठंडे स्नान के कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते। यदि सर्दियों में ठंडे पानी से स्नान करना संभव न हो, तो गर्म पानी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सिर और चेहरे को ठंडे पानी से धोना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, गर्म पानी से सिर धोने पर 123 प्रकार की बीमारियों का खतरा होता है।


तनाव और चिंता में कमी

हालांकि, कोई नैदानिक परीक्षण नहीं है जो यह साबित करता हो कि ठंडे स्नान से तनाव और चिंता कम होती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ठंडा पानी इस मामले में सहायक हो सकता है। ठंडे पानी से स्नान करने से शरीर के हानिकारक रसायन बाहर निकल जाते हैं, जिससे व्यक्ति तनावमुक्त महसूस करता है।


त्वचा की देखभाल

सर्दियों में त्वचा और बाल सूखे हो जाते हैं, इसलिए गर्म पानी से स्नान करने के बाद यह और भी अधिक सूखा दिखता है। इसे रोकने के लिए हमेशा ठंडे पानी से स्नान करें। यह त्वचा के छिद्रों को बंद कर देता है और नमी बनाए रखता है। ठंडे पानी से स्नान करने से मांसपेशियों के दर्द में भी राहत मिलती है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ठंडे पानी से स्नान करने से यूरिक एसिड कम होता है और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ती है।


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