अमृतसर, 10 अक्टूबर . पंजाब में करवा चौथ का त्योहार पारंपरिक श्रद्धा और बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. विवाहित महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखा. दिन भर उत्सव और भक्ति का माहौल बना रहा, और बाजारों में भी देर शाम तक रौनक देखने को मिली.
गुरु नगरी अमृतसर में करवा चौथ का उल्लास विशेष रूप से देखने को मिला. महिलाओं ने तड़के “सरगी” के साथ अपने व्रत की शुरुआत की. दोपहर के समय पारंपरिक परिधानों और सुंदर आभूषणों से सजी-धजी सुहागिनें समूहों में एकत्र हुईं और करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती एवं गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना की. कथा सुनने के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सदा-सुहागिन होने का आशीर्वाद देते हुए करवों का आदान-प्रदान किया.
पूजा-अर्चना के बाद शाम को व्रत तोड़ने की तैयारी शुरू हो गई. दिनभर के उपवास के बावजूद महिलाओं के चेहरे पर थकान की जगह खुशी और उत्साह की चमक थी. कई जगहों पर महिलाओं ने लोकगीतों, नाच-गाने और विभिन्न मनोरंजक खेलों के साथ इस उत्सव का आनंद लिया.
जैसे ही शाम ढली, सभी की निगाहें बेसब्री से चांद के दीदार के लिए आसमान की ओर टिक गईं. अमृतसर में लगभग 8 बजकर 25 मिनट पर चांद के दर्शन हुए, जिसके बाद महिलाओं ने चलनी से चांद और फिर अपने पति का चेहरा देखकर अर्घ्य दिया. पति के हाथ से जल ग्रहण कर सुहागिनों ने अपना व्रत संपन्न किया.
व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि वे इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं. उन्होंने कहा कि करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, त्याग और विश्वास के गहरे रिश्ते का प्रतीक है. अमृतसर से लेकर जालंधर, लुधियाना, पटियाला और चंडीगढ़ तक, पूरा प्रदेश प्रेम और परंपरा के रंगों से सराबोर रहा.
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एसएके/एबीएम
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