लुधियाना, 9 सितंबर . बाढ़ के साथ नदियों के सहारे पहाड़ों से बहकर आई मिट्टी ने पंजाब की धरती के रंग और उपज दोनों पर असर डाला है. हालांकि, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसल का मानना है कि हाल की बाढ़ के कारण Himachal Pradesh से पंजाब की नदियों के माध्यम से आई पहाड़ी मिट्टी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
कुलपति सतबीर सिंह गोसल ने बताया कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के जरिए हिमाचल से दो प्रकार की मिट्टी पंजाब पहुंची है, जिसमें कंक्रीट युक्त रेत और लाल मिट्टी शामिल है.
सतबीर सिंह गोसल का कहना है कि कंक्रीट युक्त रेत, जिसमें छोटी बजरी शामिल है, मुख्य रूप से निर्माण कार्यों के लिए उपयोगी है, लेकिन इसमें उपजाऊपन की मात्रा बहुत कम है.
उनका यह भी मानना है कि लाल मिट्टी फसलों के लिए लाभकारी हो सकती है, क्योंकि इसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं.
उन्होंने कहा कि जहां पहले रेतीली मिट्टी थी, वहां लाल मिट्टी के आने से उसकी गुणवत्ता मध्यम स्तर की हो सकती है, जो कृषि के लिए लाभकारी हो सकता है.
कुलपति ने बताया कि मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के लिए पंजाब की नदियों से नमूने एकत्र किए जाएंगे और उनकी जांच होगी. लाल मिट्टी के नमूनों की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है, और इसकी विस्तृत रिपोर्ट जल्द जारी की जाएगी.
उन्होंने यह भी बताया कि लाल मिट्टी में उर्वरक की मात्रा अधिक होती है, जो इसे किसानों के लिए अधिक उपयोगी बनाती है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा, “गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोजपुर जैसे क्षेत्रों की मिट्टी पहले से ही मध्यम स्तर की है. बाढ़ के बाद कंक्रीट युक्त मिट्टी के कारण भविष्य में इन क्षेत्रों को कुछ नुकसान हो सकता है. लेकिन, लाल मिट्टी के मिश्रण से उर्वरता में सुधार की संभावना है.”
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डीसीएच/एबीएम
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