साबरकांठा, 4 मई . केंद्र सरकार द्वारा 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अब देश के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस योजना के तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पांच लाख रुपए तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाता है. गुजरात के साबरकांठा जिले में यह योजना विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है, जहां पिछले एक साल में 36,000 से अधिक लोगों ने 87 करोड़ रुपए से अधिक की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया है. यह योजना न केवल आर्थिक बोझ को कम कर रही है, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कर रही है.
साबरकांठा जिले में वर्ष 2024 के दौरान आयुष्मान कार्ड के तहत 36,000 से अधिक मरीजों को विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गईं. इन सेवाओं की कुल लागत 87 करोड़ रुपए से अधिक रही. इस योजना ने विशेष रूप से उन परिवारों को राहत दी है, जो गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भारी-भरकम खर्च वहन करने में असमर्थ थे.
जिला सिविल सर्जन आशीष कटारकर के अनुसार, “पूरे जिले में 36,000 से अधिक मामले पंजीकृत हुए, जिनमें 87 करोड़ रुपए की राशि सरकार द्वारा वहन की गई. इससे मरीजों को अपनी जेब से एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा और गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो सका.”
उन्होंने बताया कि हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में ही 3,500 मरीजों ने इस योजना का लाभ उठाया, जिससे उनकी लगभग 5 करोड़ रुपए की बचत हुई. अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ लें, ताकि किसी को भी आर्थिक तंगी के कारण इलाज से वंचित न रहना पड़े. यह योजना गरीब परिवारों की गृहस्थी को बीमारी के आर्थिक बोझ से बचाती है और उन्हें मुफ्त में बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराती है.
आशीष कटारकर ने कहा कि आयुष्मान कार्ड साबरकांठा के कई परिवारों के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ है. वडाली में एक व्यक्ति अचानक गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गया था. निजी अस्पताल में इलाज का खर्च 70,000 से 80,000 रुपए बताया गया, जो परिवार के लिए असंभव था. हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के तहत मरीज को मुफ्त में उच्च गुणवत्ता का इलाज मिला. परिवार ने इस सुविधा के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया.
इसी तरह, हिम्मतनगर के कांकणोल गांव के गणपतभाई सोलंकी को वर्षों से चलने में दिक्कत थी. निजी अस्पतालों में उनके ऑपरेशन का खर्च दो-तीन लाख रुपए तक था. आयुष्मान कार्ड की मदद से हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में उनका मुफ्त ऑपरेशन हुआ, और अब वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. गणपतभाई के परिजन उत्पल सोलंकी ने कहा कि निजी अस्पताल में दो-तीन लाख रुपए का खर्च बताया गया था, लेकिन आयुष्मान कार्ड की वजह से सिविल अस्पताल में मुफ्त इलाज हुआ. अब मेरे पिताजी चल-फिर सकते हैं और स्वस्थ हैं. इस योजना के लिए मैं सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं.”
एक अन्य मामले में, मुहम्मद हामिद की पत्नी को गिरने से गंभीर चोट लगी थी. निजी अस्पताल ने 70,000 से 80,000 रुपए का खर्च बताया था, लेकिन आयुष्मान कार्ड के माध्यम से सिविल अस्पताल में उनका मुफ्त इलाज हुआ. हामिद ने कहा कि इस योजना ने हम जैसे गरीब लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत दी है. मैं सरकार का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं.
आयुष्मान कार्ड ने न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की हैं, बल्कि उनकी जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव लाया है. यह योजना गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, और ऑर्थोपेडिक सर्जरी जैसे महंगे इलाज को भी कवर करती है. साबरकांठा में इस योजना की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक वर्ष में हजारों लोग बिना किसी आर्थिक बोझ के स्वस्थ हो चुके हैं.
आयुष्मान भारत योजना के तहत साबरकांठा जिले में अभी और लोग इस योजना से जुड़ने की प्रक्रिया में हैं. सरकार और स्थानीय प्रशासन का लक्ष्य है कि जिले के प्रत्येक पात्र व्यक्ति तक इस योजना का लाभ पहुंचे. इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और आयुष्मान कार्ड बनवाकर इसका लाभ उठाएं.
आयुष्मान कार्ड ने साबरकांठा में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है. यह योजना न केवल गरीबों के लिए एक वरदान है, बल्कि यह भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है, जो हर नागरिक को स्वस्थ और सुरक्षित जीवन प्रदान करने के लिए है.
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एकेएस/एकेजे
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