बाराबंकी, 8 मई . कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने गुरुवार को आतंकवाद के खिलाफ सरकार और सेना की निर्णायक कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस पूरी तरह से सेना और सरकार के साथ खड़ी है.
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले में हुए नुकसान की भरपाई संभव नहीं है, लेकिन पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए और सख्त कार्रवाई की जरूरत है. पुनिया ने कहा, “हमें अपनी सेना पर गर्व है कि उन्होंने दुश्मन को करारा जवाब दिया है. पाकिस्तान को यह समझ लेना होगा कि भारत की ओर आंख उठाने का अंजाम क्या होगा. आने वाले दिनों में पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए कि वो आतंकवादी हरकत करने से पहले दस बार सोचें.”
तनुज पुनिया ने केंद्र सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की तारीफ करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी के निर्देश पर पार्टी के सभी कार्यक्रम तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं. संकट की इस घड़ी में कांग्रेस सरकार और सेना के साथ एकजुट है. पार्टी हर कदम पर सरकार और सेना का समर्थन करेगी.
इस बीच, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दिए बयान को लेकर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय सामंत ने प्रतिक्रिया दी. मंत्री उदय सामंत ने कहा कि हर जगह राजनीति अच्छी नहीं होती. अगर भारत ने कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान को सबक सिखाया है, तो उसका समर्थन किया जाना चाहिए. मेरे हिसाब से राजनीति तभी करनी चाहिए, जब जरूरी हो. आज हमें सीमा पर काम कर रहे अपने सैनिकों का समर्थन करना चाहिए. बयानबाज़ी करने की बजाय हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम उनका समर्थन कैसे कर सकते हैं. आज देश और सैनिकों को समर्थन में एक होने की जरूरत है.
वहीं, महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना की ओर से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खूब प्रशंसा की. दानवे ने कहा, “पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने पुरुषों को चुन-चुनकर मारा, जबकि महिलाओं को अलग रखा. इस हमले में 26 पुरुषों की मौत हुई, और उनके सामने उनकी पत्नियों का सिंदूर मिट गया. यह एक दुखद और हृदयविदारक घटना थी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम भावनाओं से खिलवाड़ नहीं है, बल्कि यह उन बहनों के दर्द को दर्शाता है, जिनके सुहाग को आतंकियों ने छीन लिया. इस नामकरण के पीछे भारतीय सेना की मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी, बल्कि यह पीड़ित परिवारों के प्रति सम्मान और प्रतिशोध की भावना को दर्शाता है.”
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एकेएस/डीएससी
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