New Delhi, 28 अक्टूबर . भारतीय नौसेना प्रमुख दिनेश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि समुद्र हमारे साझा भविष्य का दर्पण हैं, सुरक्षा और विकास दोनों एक साथ चलने वाले इंजन हैं. वह Tuesday को New Delhi में आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2025 के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे.
नौसेना प्रमुख ने कहा कि समुद्र सदियों से मानवता के सबसे प्राचीन राजमार्ग रहे हैं. इन राजमार्गों ने न केवल व्यापार और संस्कृति बल्कि जिज्ञासा और साहस को भी दिशा दी है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न मित्र देशों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति दर्शाती है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का भविष्य केवल संवाद, सहयोग और पारस्परिक विश्वास से ही सुरक्षित और समृद्ध बनाया जा सकता है.
नौसेना प्रमुख ने Prime Minister Narendra Modi के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि महासागर राष्ट्रों और समाजों की साझा धरोहर हैं. ये अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवनरेखा हैं. आज देशों की सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से गहराई से जुड़ी हुई है. यह संदेश हमें यह याद दिलाता है कि समुद्रों की शांति और राष्ट्रों की समृद्धि एक-दूसरे से अविभाज्य हैं.
नौसेना प्रमुख ने कहा कि मौजूदा समय में समुद्री सुरक्षा को केवल खतरे के नियंत्रण के दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसे गतिशील और जटिल चुनौती के रूप में समझना होगा. उन्होंने तीन प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख किया. इनमें वाणिज्यिक व्यवधान, सीमापार अस्थिरता व तकनीकी तीव्रता शामिल है. वाणिज्यिक व्यवधान, वैश्विक समुद्री व्यापार में गिरावट, संघर्षों और अस्थिरता से प्रभावित हो रही है. 2025 में समुद्री व्यापार की वृद्धि दर मात्र 0.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2024 के 2.2 प्रतिशत की तुलना में बड़ी गिरावट है. रेड सी संकट ने दिखाया है कि एक समुद्री मार्ग पर संकट पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. सीमापार अस्थिरता ने फिशिंग, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और समुद्री अपराधों ने समुद्रों को नई चुनौतियों के केंद्र में ला दिया है. अवैध फिशिंग हर साल 11 से 26 मिलियन टन मछलियों की क्षति करती है, जिसकी आर्थिक कीमत 10 से 23 अरब डॉलर है. साथ ही, जलवायु परिवर्तन, समुद्र-स्तर वृद्धि और प्रदूषण ने छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है.
उन्होंने कहा कि तकनीकी तीव्रता जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमैटिक प्रणालियां और सैटेलाइट अब समुद्री संचालन की प्रकृति बदल रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही साइबर हमले, जीपीएस जेमिंग और सिग्नल स्पूफिंग जैसी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं. भारतीय महासागर क्षेत्र में लगभग रोजाना जीपीएस व्यवधान के मामले दर्ज हो रहे हैं.
नौसेना प्रमुख ने कहा कि समुद्री सुरक्षा और समुद्री विकास दो समानांतर रेखाएं नहीं हैं, बल्कि ये दो इंजन हैं, जो मिलकर शांति और समृद्धि की यात्रा को आगे बढ़ाते हैं. जैसे-जैसे समुद्र अधिक महत्व पा रहे हैं, वैसे-वैसे हमारी रणनीतियों को भी विस्तृत होना चाहिए. आज समुद्री क्षेत्र में चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं, इसलिए सुरक्षा को एकीकृत दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है. क्षमता केवल जहाजों या उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की सामूहिक क्षमता का विषय है. वास्तविक क्षमता मशीनों में नहीं, बल्कि उन लोगों में होती है जो उन्हें उद्देश्यपूर्ण रूप से उपयोग करते हैं.
उन्होंने भारतीय नौसेना के ‘आईओएस सागर’ अभियान का उल्लेख किया, जिसमें 9 देशों के 44 नौसैनिकों की संयुक्त तैनाती ने क्षेत्रीय एकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया. नौसेना प्रमुख ने कहा कि यह संवाद नए विचारों, नए सहयोगों और साझा समाधान की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगा.
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जीसीबी/एसके
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