New Delhi, 7 अगस्त . सावन मास की चतुर्दशी तिथि पर शुभ योगों के संयोग में वरलक्ष्मी व्रत और हयग्रीव जन्मोत्सव का विशेष महत्व है. दृक पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि शाम 2 बजकर 12 मिनट तक रहेगी, इसके बाद पूर्णिमा शुरू होगी.
Friday को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा, फिर श्रवण नक्षत्र रहेगा. चंद्रमा मकर राशि में संचार करेगा. सूर्योदय सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 7 बजकर 7 मिनट पर होगा. राहुकाल सुबह 10 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. Friday के दिन दोपहर 2 बजकर 28 मिनट से 9 अगस्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जो इस दिन को और शुभ बनाता है.
वरलक्ष्मी व्रत सावन शुक्ल पक्ष के Friday को पड़ रहा है, जो धन और समृद्धि की देवी वरलक्ष्मी को समर्पित है. मान्यता है कि देवी वरलक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी और महालक्ष्मी का एक रूप हैं, अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. उनका प्रादुर्भाव क्षीर सागर से हुआ था और वे दूधिया रंग के वस्त्र धारण करती हैं. यह व्रत संतान, जीवनसाथी और सांसारिक सुखों की कामना के लिए किया जाता है. खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में विवाहित महिलाएं इसे श्रद्धापूर्वक करती हैं, हालांकि पुरुष भी इसे कर सकते हैं.
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि में पवित्र धागा (दोरक) बांधना और मिष्ठान्न अर्पित करना शामिल है, जो दीपावली की महालक्ष्मी पूजा से मिलता-जुलता है. सुबह के साथ ही शाम में भी माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए देवी श्री वरलक्ष्मी का ध्यान करते हुए पूजन आरंभ करना चाहिए. समक्ष स्थापित श्री वरलक्ष्मी प्रतिमा का ध्यान मंत्र ‘क्षीरसागर-संभूतां क्षीरवर्ण-समप्रभाम्,
क्षीरवर्णसमं वस्त्रं दधानां हरिवल्लभाम्’ के साथ करें.
इसके बाद पंचामृत स्नान कराएं, इसके पश्चात जल अर्पित करें. माता के स्नान के बाद उन्हें वस्त्र चढ़ाकर इत्र, रोली, सिंदूर लगाएं और माला फूल के साथ नैवेद्य आदि अर्पित करें. दीप-धूप जलाकर माता की प्रार्थना करें, व्रत कथा सुनें और भक्ति के भाव के साथ आरती करें.
इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान हयग्रीव का भी जन्मोत्सव है. हयग्रीव का शीर्ष अश्व और शरीर मनुष्य का है. मान्यता है कि हयग्रीवासुर ने ब्रह्मा जी से वेदों का हरण कर उन्हें समुद्र में बंदी बनाया था. तब भगवान हयग्रीव ने वेदों को पुनः प्राप्त किया. ब्राह्मण समुदाय इस दिन को उपाकर्म दिवस के रूप में मनाता है. यह दिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है. विधि-विधान से नारायण के अवतार की पूजा करनी चाहिए.
–
एमटी/केआर
The post सावन की चतुर्दशी : शुभ योगों के बीच करें वरलक्ष्मी व्रत, विष्णु प्रिया को ऐसे करें प्रसन्न appeared first on indias news.
You may also like
Health: महिलाओं में दिखते हैं कैंसर के ये 5 शुरुआती आम लक्षण, न करें नजरअंदाज
'सरू' के लिए मोहक मटकर ने सीखा राजस्थानी कठपुतली डांस, कहा- 'चुनौतीपूर्ण था लेकिन मजेदार भी'
'यह युवा भारत है, झुकता नहीं', अमेरिकी टैरिफ पर भाजपा सांसदों ने दिया जवाब
कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव करे सोंठ, जानें इसके वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक लाभ
भारत दौरे के लिए सैम कोंस्टास और नाथन मैकस्वीनी ऑस्ट्रेलिया ए टीम में शामिल