रांची, 29 मई . झारखंड सरकार ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए सीनियर आईएएस विनय चौबे सहित चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. इन अफसरों में उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची के महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास और पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार शामिल हैं.
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है. शराब घोटाले की जांच कर रही राज्य सरकार की एजेंसी एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को 20 मई और अन्य दो अधिकारियों को 21 मई को गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.
इन सभी का निलंबन जेल जाने की तिथि से ही प्रभावी होगा. इस बीच एसीबी ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को न्यायालय के आदेश पर गुरुवार को सुबह 10 बजे से दो दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की.
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने दोनों से पिछले तीन वर्षों में उनके एवं उनके परिजनों के नाम पर अर्जित संपत्ति, निवेश और उनके स्रोतों के बारे में सवाल किए हैं. उनसे वर्ष 2022 में राज्य में नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद थोक कारोबार का टेंडर लाने वाले सिंडिकेट में शामिल लोगों से रिश्तों के बारे में भी जानकारी मांगी गई.
एसीबी ने अब तक की जांच में पाया है कि इन अधिकारियों की साजिश की वजह से राज्य सरकार को 38 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह रकम और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
झारखंड में शराब घोटाले की शुरुआत वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नई एक्साइज पॉलिसी लागू होने के साथ ही हो गई थी. इस पॉलिसी को जमीन पर उतारने के लिए बतौर कंसल्टेंट छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के साथ करार किया गया था.
झारखंड में इस पॉलिसी को लागू करने की प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं. आरोप है कि एक खास सिंडिकेट को शराब का टेंडर दिलाने के लिए मनमाने तरीके से शर्तें बदल दी गईं.
छत्तीसगढ़ की कंसल्टेंट कंपनी के अधिकारियों के सहयोग से सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड में शराब की सप्लाई और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए. टेंडर लेने वाली कंपनियों की ओर से जमा बैंक गारंटियां भी फर्जी निकलीं. इससे राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लगी.
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एसएनसी/एबीएम
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