शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी के एक दिन बाद मंगलवार को बड़ी गिरावट आई और बीएसई सेंसेक्स 1,282 अंक लुढ़क गया। आईटी और दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली से बाजार नुकसान में रहा।
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,281.68 अंक यानी 1.55 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 81,148.22 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,386.21 अंक तक लुढ़क गया था। सेंसेक्स के शेयरों में 25 नुकसान में जबकि पांच लाभ में रहे।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 346.35 अंक यानी 1.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,578.35 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में इन्फोसिस में 3.54 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके अलावा पावर ग्रिड, इटर्नल, एचसीएल टेक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, भारती एयरटेल, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एनटीपीसी, मारुति, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर भी नीचे आए।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में... सन फार्मा, अदाणी पोर्ट्स, बजाज फाइनेंस, भारतीय स्टेट बैंक शामिल हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा कि मुनाफावसूली चौतरफा रही। आईटी, दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) और वाहन शेयर प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘सोमवार की तेजी के बाद मंगलवार को घरेलू बाजार में मुनाफावसूली देखी गई। ऐसा लगता है कि व्यापार युद्ध और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने सहित वैश्विक और घरेलू जोखिमों में कमी से जो तेजी आई थी, वह अब थोड़ी थमी है।’’
छोटी कंपनियों के शेयरों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.99 प्रतिशत चढ़ा जबकि मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप में 0.17 प्रतिशत की तेजी रही।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट बढ़त में रहे, जबकि हांगकांग के हैंगसेंग में गिरावट रही।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर कारोबार में ज्यादातर में तेजी का रुख था। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव कम होने के बाद सोमवार को अमेरिकी बाजारों में तेजी रही।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.32 प्रतिशत बढ़कर 65.17 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 1,246.48 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।
बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 2,975.43 अंक उछलकर सात महीने से अधिक के उच्चस्तर 82,429.90 अंक पर बंद हुआ था। एनएसई निफ्टी भी 916.70 अंक की तेजी के साथ 24,924.70 अंक पर रहा था।
अप्रैल में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 3.16 प्रतिशत पर आई, जुलाई 2019 से सबसे निचला स्तरसांख्यिकी मंत्रालय से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में कमी आने से घरेलू बजट को राहत मिली है, जिससे भारत की खुदरा मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में घटकर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जो इससे पहले मार्च में 3.34 प्रतिशत थी।
खाद्य मुद्रास्फीति 'उपभोक्ता मूल्य सूचकांक' (सीपीआई) बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, जो अप्रैल में धीमी होकर 1.78 प्रतिशत पर आ गई, जबकि मार्च में यह 2.69 प्रतिशत थी।
यह लगातार तीसरा महीना है, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे रही है और इससे केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी नरम मौद्रिक नीति को जारी रखने में सक्षम होगा।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर इस वर्ष मार्च में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में घटकर 3.34 प्रतिशत रह गई, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था।
देश में खुदरा मुद्रास्फीति हाल के महीनों में घट रही है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2025-26 के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को पहले के 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गया है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि रबी फसलों को लेकर अनिश्चितताएं काफी कम हो गई हैं और दूसरे अग्रिम अनुमान पिछले साल की तुलना में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के अधिक उत्पादन की ओर इशारा करते हैं।
उन्होंने कहा कि खरीफ की मजबूत आवक के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में स्थायी नरमी आने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, "हमारे नवीनतम सर्वेक्षण में तीन महीने और एक साल के लिए मुद्रास्फीति की उम्मीदों में तेज गिरावट से मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी।"
इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए अच्छे संकेत हैं।
हालांकि, वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं और प्रतिकूल मौसम संबंधी आपूर्ति व्यवधानों की चिंताएं मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा करती हैं।
उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून को मानते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.4 प्रतिशत रहेगी।
'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान ही नहीं चीन को भी झटका, चीनी डिफेंस कंपनी के शेयर 6 प्रतिशत से ज्यादा गिरेआतंक के खात्मे के लिए भारतीय सेना द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान ही नहीं, चीन को भी बड़ा झटका लगा है। दरअसल, चीनी डिफेंस कंपनी जुझोउ होंगडा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्प लिमिटेड के शेयर में मंगलवार को 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई।
जुझोउ होंगडा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्प लिमिटेड, वही कंपनी है, जिसकी मिसाइल 'पीएल-15' को पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सेना ने मार गिराया था।
भारतीय सेना द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने चीनी मिसाइल पीएल-15 के जरिए देश के मिलिट्री इंस्टॉलेशन को टारगेट किया, लेकिन इस मिसाइल को भारत की मजबूत डिफेंस सिस्टम ने चुटकियों में नाकाम कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, 9 और 10 मई की रात को भारत के एयरफोर्स बेस और मिलिट्री सुविधाओं को निशाना बनाते हुए पाकिस्तान ने चीनी पीएल-15 मिसाइल और तुर्कीये में बने बाइकर वाईआईएचए-III कामिकेज ड्रोन के जरिए हवाई हमले किए थे।
भारत के एयर डिफेंस ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को बचाने के लिए किए गए इन हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया।
पीएल-15 एक एयर-टू-एयर मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल जेएफ-17 और जे-10 फाइटर जेट द्वारा किया जाता है।
भारत द्वारा चुटकियों में तबाह करने के बाद चीनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को लेकर सवाल उठने लगे हैं, जिसके कारण निवेशकों का चीनी डिफेंस पर भरोसा कम हो रहा है और जुझोउ होंगडा के शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली।
भारत के एयर ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल, एयर मार्शल एके भारती ने नाकाम किए गए हथियारों की तस्वीरें प्रदर्शित कीं और दिखाया कि किस प्रकार भारतीय डिफेंस नेटवर्क ने हाई टेक्नोलॉजी वाली मिसाइलों और ड्रोनों को नष्ट किया।
उन्होंने इस खतरे को बेअसर करने का क्रेडिट स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम 'आकाश' को दिया।
तुर्कीये में बने बाइकर वाईआईएचए-III कामिकेज ड्रोन को भी सेना ने अमृतसर में डिटेक्ट कर गिराया। इस ड्रोन में बड़े पेलोड और कम-एल्टीट्यूड में उड़ान भरने के साथ तेज हमले करने की क्षमता है।
इस ड्रोन का उद्देश्य सैन्य या नागरिक लक्ष्यों को भारी नुकसान पहुंचाना था, लेकिन यह भारत की सुरक्षा को भेदने में विफल रहा।
रुपए में शानदार तेजी, डॉलर के मुकाबले 75 पैसे बढ़ाअमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में शानदार तेजी का दौर जारी है। मंगलवार को रुपया 75 पैसे की बढ़त के साथ 84.65 पर खुला।
इससे पहले के सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया 85.38 के स्तर पर बंद हुआ था।
जानकारों के मुताबिक, कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया 84.50 से लेकर 85.25 की रेंज में कारोबार कर सकता है। रुपए में तेजी ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में अमेरिका और चीन में व्यापार समझौता हुआ है और इससे वैश्विक बाजारों में अधिक स्थिरता आएगी।
यूएस और चीन व्यापार समझौते के तहत अमेरिका चीनी उत्पादों पर टैरिफ को 90 दिनों के लिए 145 प्रतिशत से 30 प्रतिशत करेगा। चीन भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 90 दिनों के लिए 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करेगा। इसके साथ ही दोनों देश आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर चर्चा जारी रखने के लिए एक सिस्टम स्थापित करेंगे।
जानकारों ने आगे कहा कि आने वाले समय में भू-राजनीतिक तनाव को लेकर किसी भी अपडेट का रुपए की चाल पर असर देखने को मिल सकता है।
वित्त वर्ष 25 में डॉलर के मुकाबले रुपए ने 83.10 से लेकर 87.6 के बीच कारोबार किया। इस दौरान अमेरिकी मुद्रा के खिलाफ भारतीय मुद्रा की वैल्यू में सालाना आधार पर 2.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। रुपए में गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर का मजबूत होना था।
एनएसई की 'मार्केट पल्स रिपोर्ट' के मुताबिक, "इन चुनौतियों के बावजूद रुपया दुनिया की अन्य मुद्राओं के मुकाबले स्थिर रहा है। इसकी वजह कम होता चालू खाता घाटा, सरकार की मजबूत वित्तीय स्थिति, लिक्विडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में कमी आना है।"
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 के मार्च में डॉलर में कमजोरी और फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश बढ़ने के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में 2.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
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