DNA Test For US Visa : अमेरिका में जल्द ही विदेशी वर्कर्स को वर्क वीजा के लिए DNA सैंपल देने की जरूरत पड़ने वाली है। ये नया फैसला भले ही चौंकाने वाला लगे, लेकिन इसे लाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने तैयारी कर ली है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (   DHS) ने एक नया नियम प्रस्तावित किया है, जिसके तहत सभी इमिग्रेशन लाभ लेने के लिए आवेदकों को उनकी उम्र या आवेदन के टाइप की परवाह किए बगैर DNA समेत बायोमेट्रिक डेटा जमा करने की जरूरत होगी।   
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सरकार के नए प्रस्ताव का मकसद मौजूदा डेटा कलेक्शन के तरीकों को आगे बढ़ाना है। वर्तमान में नागरिकता, शरण, वर्क परमिट या परमानेंट रेजिडेंसी के आवेदन के दौरान लोगों को बायोमेट्रिक डेटा देने की जरूरत पड़ती है। इस तरह ये कहा जा सकता है कि अगर नया नियम लागू हो जाता है और आप अमेरिका में जॉब करना चाहते हैं, तो फिर आपको DNA सैंपल देने की जरूरत पड़ सकती है। DNA सैंपल देने की जरूरत उन लोगों को भी पड़ने वाली है, जो अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करना चाहते हैं।
     
नया नियम किस तरह का होगा?
नए प्रस्तावित नियम के तहत, DHS के पास आवेदकों की पहचान वेरिफाई करने और बैकग्राउंड जांच के लिए बायोमेट्रिक जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार होगा। DHS चेहरे और आंखों की इमेजरी, फिंगरप्रिंट, आवाज के प्रिंट और साइन जैसी जानकारी इकट्ठा करेगा। ये नियम DHS को DNA इकट्ठा करने की इजाजत भी देगा, ताकि आनुवांशिक संबंधों (जेनेटिक संबंध) के दावों की पुष्टि की जा सके या कुछ इमिग्रेशन लाभों के लिए प्रासंगिक पाए जाने पर बायोलॉजिकल सेक्स का सबूत भी दिया जा सके।
     
सरकार ने क्या कहा?
DHS ने कहा है कि बायोमेट्रिक के इस्तेमाल से ना सिर्फ सिक्योरिटी मजबूत होगी, बल्कि फ्रॉड भी रोका जा सकेगा। एजेंसी ने प्रस्ताव में कहा, 'पहचान वेरिफाई और मैनेजमेंट के लिए बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल तस्करी से निपटने, जीवनी संबंधी आपराधिक इतिहास जांच के सबूतों की पुष्टि करने और धोखाधड़ी को रोकने में DHS के प्रयासों में सहायता करेगा।' फिलहाल सरकार ने इस नए प्रस्ताव पर लोगों की राय मांगी है। राय लेने के बाद ही सरकार प्रस्ताव को कांग्रेस में लाएगी, जहां से पास होने पर ये कानून बनेगा।
   
  
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सरकार के नए प्रस्ताव का मकसद मौजूदा डेटा कलेक्शन के तरीकों को आगे बढ़ाना है। वर्तमान में नागरिकता, शरण, वर्क परमिट या परमानेंट रेजिडेंसी के आवेदन के दौरान लोगों को बायोमेट्रिक डेटा देने की जरूरत पड़ती है। इस तरह ये कहा जा सकता है कि अगर नया नियम लागू हो जाता है और आप अमेरिका में जॉब करना चाहते हैं, तो फिर आपको DNA सैंपल देने की जरूरत पड़ सकती है। DNA सैंपल देने की जरूरत उन लोगों को भी पड़ने वाली है, जो अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करना चाहते हैं।
नया नियम किस तरह का होगा?
नए प्रस्तावित नियम के तहत, DHS के पास आवेदकों की पहचान वेरिफाई करने और बैकग्राउंड जांच के लिए बायोमेट्रिक जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार होगा। DHS चेहरे और आंखों की इमेजरी, फिंगरप्रिंट, आवाज के प्रिंट और साइन जैसी जानकारी इकट्ठा करेगा। ये नियम DHS को DNA इकट्ठा करने की इजाजत भी देगा, ताकि आनुवांशिक संबंधों (जेनेटिक संबंध) के दावों की पुष्टि की जा सके या कुछ इमिग्रेशन लाभों के लिए प्रासंगिक पाए जाने पर बायोलॉजिकल सेक्स का सबूत भी दिया जा सके।
सरकार ने क्या कहा?
DHS ने कहा है कि बायोमेट्रिक के इस्तेमाल से ना सिर्फ सिक्योरिटी मजबूत होगी, बल्कि फ्रॉड भी रोका जा सकेगा। एजेंसी ने प्रस्ताव में कहा, 'पहचान वेरिफाई और मैनेजमेंट के लिए बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल तस्करी से निपटने, जीवनी संबंधी आपराधिक इतिहास जांच के सबूतों की पुष्टि करने और धोखाधड़ी को रोकने में DHS के प्रयासों में सहायता करेगा।' फिलहाल सरकार ने इस नए प्रस्ताव पर लोगों की राय मांगी है। राय लेने के बाद ही सरकार प्रस्ताव को कांग्रेस में लाएगी, जहां से पास होने पर ये कानून बनेगा।
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