नई दिल्ली: दिल्ली में खाने की जरूरी चीजों जैसे अंडा, दूध, सब्जी आदि लाने वाली गाड़ियों की एंट्री पर अब हरित शुल्क लगेगा। 10 साल पहले कमर्शल गाड़ियों को एनवायरनमेंट कंपेनसेशन सेस (ECC) से दी गई छूट को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है। कोर्ट ने 26 सितंबर को यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा कि अक्टूबर 2015 में दी गई यह छूट वास्तविक परिचालन में कठिनाइयां पैदा कर रही थी और उपकर लगाने के उद्देश्य को कमजोर कर रही थी । MCD ने याचिका दायर कर जरूरी सामान जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडे, बर्फ (भोजन में इस्तेमाल के लिए), पोल्ट्री आइटम आदि लेकर आनी वाली कमर्शल गाड़ियों को ECC से दी गई छूट को हटाने की मांग की थी। MCD ने तर्क दिया कि जांचने के लिए वाहनों को रोका जाता है कि वे जरूरी सामान ले जा रहे हैं या नहीं, काफी देर तक गाड़ी रुकने से प्रदूषण बढ़ता है।
ट्रांसपोर्ट संघों ने जताई आपत्ति > ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन ने फैसले पर आपत्तियां जताई है।
> एसोशिएशन ने कहा, न तो ट्रांसपोर्ट असोसिएशनों को नोटिस दिया गया और न ही आम नागरिकों या उनकी संस्थाओं से राय ली गई।
> कोर्ट के इस निर्णय का असर महंगाई और सामान्य जीवन पर पड़ने वाली समस्याओं पर आकलन करने की जहमत नहीं उठाई।
> रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं जैसे- दूध, दही, मक्खन, फल, सब्जियां, अनाज, दाले समेत कई चीजों की कमी और बढ़ते दाम आम जनता को प्रत्यक्ष प्रभावित करेंगे।
> ट्रांसपोर्ट व्यवसायी और ट्रक ऑपरेटर और मुश्किल में पड़ेंगे। बाहरी राज्यों की गाड़ियां इस आदेश के बाद भाड़ा और बढ़ा देंगी।
कारोबारियों ने भी जताई नाराजगीट्रांसपोर्ट यूनियन में भारी नाराजगी है। उसका कहना है कि इससे जरूरी सामान यानी दूध, दही, फल, सब्जियां और अनाज की कीमत में इजाफा हो सकता है। राजधानी में हर दिन करीब 1 लाख ट्रक दूसरे शहर या फिर दूसरे राज्यों से सामान लेकर दिल्ली में एंट्री करते हैं। ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन दिल्ली-एनसीआर के चेयरमैन तरलोचन सिंह ढिल्लों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट का किराया बढ़ेगा। रोजमर्रा की चीजें दिल्ली में महंगी हो सकती है। यूनियन इस आदेश का विरोध करता है। इसके खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी की जा रही है।
अदालत ने कहा कि अक्टूबर 2015 में दी गई यह छूट वास्तविक परिचालन में कठिनाइयां पैदा कर रही थी और उपकर लगाने के उद्देश्य को कमजोर कर रही थी । MCD ने याचिका दायर कर जरूरी सामान जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडे, बर्फ (भोजन में इस्तेमाल के लिए), पोल्ट्री आइटम आदि लेकर आनी वाली कमर्शल गाड़ियों को ECC से दी गई छूट को हटाने की मांग की थी। MCD ने तर्क दिया कि जांचने के लिए वाहनों को रोका जाता है कि वे जरूरी सामान ले जा रहे हैं या नहीं, काफी देर तक गाड़ी रुकने से प्रदूषण बढ़ता है।
ट्रांसपोर्ट संघों ने जताई आपत्ति > ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन ने फैसले पर आपत्तियां जताई है।
> एसोशिएशन ने कहा, न तो ट्रांसपोर्ट असोसिएशनों को नोटिस दिया गया और न ही आम नागरिकों या उनकी संस्थाओं से राय ली गई।
> कोर्ट के इस निर्णय का असर महंगाई और सामान्य जीवन पर पड़ने वाली समस्याओं पर आकलन करने की जहमत नहीं उठाई।
> रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं जैसे- दूध, दही, मक्खन, फल, सब्जियां, अनाज, दाले समेत कई चीजों की कमी और बढ़ते दाम आम जनता को प्रत्यक्ष प्रभावित करेंगे।
> ट्रांसपोर्ट व्यवसायी और ट्रक ऑपरेटर और मुश्किल में पड़ेंगे। बाहरी राज्यों की गाड़ियां इस आदेश के बाद भाड़ा और बढ़ा देंगी।
कारोबारियों ने भी जताई नाराजगीट्रांसपोर्ट यूनियन में भारी नाराजगी है। उसका कहना है कि इससे जरूरी सामान यानी दूध, दही, फल, सब्जियां और अनाज की कीमत में इजाफा हो सकता है। राजधानी में हर दिन करीब 1 लाख ट्रक दूसरे शहर या फिर दूसरे राज्यों से सामान लेकर दिल्ली में एंट्री करते हैं। ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन दिल्ली-एनसीआर के चेयरमैन तरलोचन सिंह ढिल्लों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट का किराया बढ़ेगा। रोजमर्रा की चीजें दिल्ली में महंगी हो सकती है। यूनियन इस आदेश का विरोध करता है। इसके खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी की जा रही है।
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