नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के लाल किला के पास भीषण कार धमाके के बाद सुरक्षा निगरानी को लेकर सवाल उठने लगा है। यह एक ऐसा इलाका है जो लगातार पुलिस की निगरानी में रहता है। इसलिए अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर विस्फोटकों से लदी एक कार इतनी सिक्योरिटी चेक से पास कैसे कर गई। दिल्ली पुलिस की यातायात और सुरक्षा इकाइयां लाल किला-चांदनी चौक गलियारे पर कड़ी निगरानी रखती हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, बैरिकेड और वाहनों की आकस्मिक जांच शामिल है।
क्या विस्फोटकों को सीएनजी कम्पार्टमेंट या ईंधन टैंक में छिपाया गया था
विस्फोट से कुछ घंटे पहले i20 हैचबैक इन्हीं रास्तों से गुजरी थी। लाल किले के पार्किंग क्षेत्र से प्राप्त प्रारंभिक फुटेज में कार को अंदर आते-जाते भी देखा जा सकता है, संभवतः किसी रेकी के तहत। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या विस्फोटकों को सीएनजी कम्पार्टमेंट या ईंधन टैंक में छिपाया गया था, जिससे उनका पता न चल सके। एक वरिष्ठ जांचकर्ता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि अगर यह वाकई एक तात्कालिक उपकरण था, तो इसे कार के ढांचे के भीतर इस तरह छिपाया गया होगा कि मेटल डिटेक्टर या स्कैनर सक्रिय न हों।
कई लोगों के नाम पर ट्रांसफर हुई कार
कार गुड़गांव की नंबर प्लेट पर थी और सलमान नाम के एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत थी, जिसने बाद में उसे बेच दिया। कई मालिकों के नाम और पुलवामा निवासी तारिक नाम के एक व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर के कारण जानबूझकर दिशाभ्रमण का संदेह पैदा हुआ है। गृह मंत्री अमित शाह ने पुष्टि की है कि एनआईए और एनएसजी की टीमें वाहनों की जांच में, खासकर उच्च-संवेदनशील क्षेत्रों में, संभावित चूक की जांच कर रही हैं। वहीं, अमित शाह ने कहा कि सभी सीसीटीवी फुटेज की जाँच और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा के आदेश दिए गए हैं।
सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने क्या कहा?
सिक्योरिटी एक्सपर्ट का मानना है कि यह घटना एक गंभीर चूक को उजागर करती है—दिल्ली पुलिस भले ही बेतरतीब जांच करती हो, लेकिन पार्किंग स्थलों या भीड़-भाड़ वाले चौराहों पर विस्फोटकों का पता लगाने की कोई अनिवार्य व्यवस्था नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर गाड़ी में सीएनजी उपकरण के रूप में छिपाकर विस्फोटक रखे गए होते, तो वह आसानी से गुजर सकती थी।
क्या विस्फोटकों को सीएनजी कम्पार्टमेंट या ईंधन टैंक में छिपाया गया था
विस्फोट से कुछ घंटे पहले i20 हैचबैक इन्हीं रास्तों से गुजरी थी। लाल किले के पार्किंग क्षेत्र से प्राप्त प्रारंभिक फुटेज में कार को अंदर आते-जाते भी देखा जा सकता है, संभवतः किसी रेकी के तहत। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या विस्फोटकों को सीएनजी कम्पार्टमेंट या ईंधन टैंक में छिपाया गया था, जिससे उनका पता न चल सके। एक वरिष्ठ जांचकर्ता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि अगर यह वाकई एक तात्कालिक उपकरण था, तो इसे कार के ढांचे के भीतर इस तरह छिपाया गया होगा कि मेटल डिटेक्टर या स्कैनर सक्रिय न हों।
कई लोगों के नाम पर ट्रांसफर हुई कार
कार गुड़गांव की नंबर प्लेट पर थी और सलमान नाम के एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत थी, जिसने बाद में उसे बेच दिया। कई मालिकों के नाम और पुलवामा निवासी तारिक नाम के एक व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर के कारण जानबूझकर दिशाभ्रमण का संदेह पैदा हुआ है। गृह मंत्री अमित शाह ने पुष्टि की है कि एनआईए और एनएसजी की टीमें वाहनों की जांच में, खासकर उच्च-संवेदनशील क्षेत्रों में, संभावित चूक की जांच कर रही हैं। वहीं, अमित शाह ने कहा कि सभी सीसीटीवी फुटेज की जाँच और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा के आदेश दिए गए हैं।
सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने क्या कहा?
सिक्योरिटी एक्सपर्ट का मानना है कि यह घटना एक गंभीर चूक को उजागर करती है—दिल्ली पुलिस भले ही बेतरतीब जांच करती हो, लेकिन पार्किंग स्थलों या भीड़-भाड़ वाले चौराहों पर विस्फोटकों का पता लगाने की कोई अनिवार्य व्यवस्था नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर गाड़ी में सीएनजी उपकरण के रूप में छिपाकर विस्फोटक रखे गए होते, तो वह आसानी से गुजर सकती थी।
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