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यहां कोई नहीं तेरे-मेरे सिवा... यह कैसी लिस्ट है जिसमें अमेरिका और चीन के अलावा कोई नहीं

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नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से ट्रेड वॉर चल रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि चीन दूसरे नंबर पर है। चीन पिछले कई दशक से वर्ल्ड इकॉनमी का इंजन बना हुआ है और अमेरिका उसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच कड़ी होड़ चल रही है। इनमें एआई भी शामिल है। चीन और अमेरिका के बीच एआई की जंग चल रही है। जेनरेटिव एआई में सबसे ज्यादा पेटेंट के आवेदन इन्हीं देशों से आए हैं। टॉप 10 में इन्हीं दो देशों की कंपनियां हैं।



जेनरेटिव एआई में दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने सबसे ज्यादा 560 पेटेंट आवेदन दिए हैं। इसके बाद चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी का नंबर है जिसने 480 आवेदन दिए हैं। तीसरे नंबर पर फिर अमेरिका है। उसकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने 310 आवेदन किए हैं। चीन की यूनिर्विसिटी ऑफ इलेक्ट्रॉनिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी 295 पेटेंट के साथ चौथे नंबर पर है। बीजिंग बायडू नेटकॉम साइंस एंड टेक्नोलॉजी कंपनी, एनवीडिया और आईबीएम में प्रत्येक ने 280 पेटेंट दाखिल किए हैं।





चीन-अमेरिका का दबदबा

चीन की शिंगहुआ यूनिवर्सिटी, हेंगजू दियांजी यूनिवर्सिटी और स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ चाइना ने भी 250 से अधिक आवेदन किए हैं। इस तरह टॉप 10 में छह कंपनियां चीन की और चार अमेरिका की हैं। अमेरिका और चीन के बीच एआई की जंग गहराती जा रही है। दोनों देश इसके आर्थिक फायदे को अच्छी तरह जानते हैं। Stanford's AI इंडेक्स के मुताबिक 2024 में अमेरिका के पास 40 एआई मॉडल थे जबकि चीन के पास 15 और यूरोप के पास 3 मॉडल थे। अमेरिका अभी बहुत आगे है लेकिन चीन तेजी से इस अंतर को पाट रहा है।

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