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Gold Price Surge: सोने ने लगा दी लंका... ज्वेलर्स का धंधा चौपट, निराशा के बीच कहां चलने लगा दंगल?

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नई दिल्‍ली: साल 2025 सोने की कीमतों के लिए शानदार साबित हुआ है। इसने शेयर बाजारों को भी पीछे छोड़ दिया। 31 दिसंबर 2024 से 14 अक्टूबर 2025 के बीच एमसीएक्‍स गोल्ड फ्यूचर्स में 64% से ज्‍यादा की तेजी आई। वहीं, बीएसई सेंसेक्‍स सिर्फ 5% ही बढ़ पाया। सोने की इस जबरदस्त उछाल का सीधा फायदा गोल्ड-सेंट्रिक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) को हुआ। बाजार में इनका परफॉरमेंस जोरदार रहा। मुथूट फाइनेंस और मणप्‍पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियों ने साल की शुरुआत से अब तक 50.7% और 50.6% का शानदार रिटर्न दिया। इनका 'दंगल' जारी है। वहीं, ज्वैलरी कंपनियों को ग्राहकों की घटती मांग की मार झेलनी पड़ी। 2025 में सोने का औसत भाव 95,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर जाने के कारण आम आदमी ने सोने की खरीदारी कम कर दी है। इसका सीधा असर कंपनियों की बिक्री पर पड़ रहा है। यह चिंता आठ सूचीबद्ध ज्वैलरी कंपनियों के शेयर भाव में भी साफ दिख रही है। 14 अक्टूबर तक के क्लोजिंग आंकड़ों के अनुसार, आठ में से सात कंपनियों ने बीएसई सेंसेक्‍स से कम प्रदर्शन किया। छह कंपनियों को तो साल में नुकसान ही हुआ।



फाइनेंशियल सर्विसेज प्लेटफॉर्म चॉइस वेल्‍थ के सीईओ निकुंज सराफ ने इस स्थिति को बिल्कुल सही ढंग से बयां किया है। उन्‍होंने कहा, 'ज्वैलरी काउंटर और गोल्ड लोन डेस्क की कहानी बिल्कुल अलग है। एक वॉल्यूम बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही है। जबकि दूसरी सोने की चमक पर सवार होकर ऊंची उड़ान भर रही है।'



वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में तेजी के पीछे कई कारण हैं। इनमें भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताएं, चीन के साथ चल रहे व्यापारिक मतभेद और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें घटाने की उम्मीदें शामिल हैं। इसके अलावा, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की ओर से की जा रही जबरदस्त खरीदारी और सोने का एक सुरक्षित निवेश के तौर पर हमेशा बना रहने वाला आकर्षण भी इस तेजी में अहम भूमिका निभा रहा है।



घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में तेजी को रुपये के अवमूल्यन (कमजोर होना), गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF) में बढ़ते निवेश प्रवाह के साथ त्योहारों और शादियों से जुड़ी मौसमी मांग का सहारा मिल रहा है।



सोने की कीमतों का भविष्य क्या कहता है?विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले सालों में सोने की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी। बजाज कैपिटल के ज्वाइंट चेयरमैन और एमडी संजीव बजाज का अनुमान है कि तेजी की यह रफ्तार अगले 2-3 सालों में सोने की कीमतों को 2 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचा सकती है।



परंपरागत रूप से सोने की कीमतों का वास्तविक ब्याज दरों (जो कि नॉमिनल ब्याज दरों और महंगाई के बीच का अंतर है) के साथ नकारात्मक संबंध रहा है। सोना ऐसा निवेश है जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलता। ऐसे में जब वास्तविक ब्याज दरें ज्‍यादा होती हैं तो सोने में निवेश कम आकर्षक हो जाता है और फिक्स्ड-इनकम निवेश ज्‍यादा लुभावने लगते हैं।



हालांकि, अब विशेषज्ञ इस ऐतिहासिक संबंध को बदलते हुए देख रहे हैं। यस सिक्‍योरिटीज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च के स्ट्रेटेजिस्ट हितेश जैन के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्‍स (ईटी) ने बताया कि अमेरिका में अनुकूल वास्तविक दरें होने के बावजूद सोना मजबूत बना हुआ है। यह सोने के वैल्‍यूएशन में बदलाव का संकेत देता है, जहां भू-राजनीतिक जोखिमों और आर्थिक अस्थिरता के खिलाफ एक बचाव के रूप में इसकी भूमिका लगातार बढ़ रही है। जैन ने सोने की सीमित सप्‍लाई, रीसाइकल किए गए सोने में संरचनात्मक गिरावट और अमेरिका की घटती वित्तीय विश्वसनीयता को भी ऐसे अतिरिक्त कारक बताया हैं जो सोने को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की नींव रख रहे हैं।



ज्वैलरी बाजार में मायूसी2018-2024 के दौरान भारत में ज्वैलरी के लिए सोने की मांग में सालाना 1% की गिरावट आई है। इसके अलावा, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की लगातार मजबूत मांग आने वाले समय में सोने की ऊंची कीमतों को सहारा देती रहेगी।



सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल के कारण शुरुआती त्योहारी सीजन के बावजूद सोने के गहनों की मांग में कमी आई है। इसने गहनों की एफोर्डिबिलिटी को प्रभावित किया है। इससे ग्राहक या तो कम वजन के गहने खरीद रहे हैं, हल्के डिज़ाइन चुन रहे हैं या फिर खरीदारी को टाल रहे हैं। 2025 में भारत की सोने की मांग घटकर 700 से 800 टन के बीच रहने की संभावना है, जो पहले 802.8 टन थी।



मांग में इस गिरावट से ज्वैलरी कंपनियों पर मार्जिन का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि, प्रति ग्राम ज्‍यादा कीमत मिलने से बिक्री की मात्रा में आई कमी की भरपाई हो जाती है। लेकिन, इनपुट लागत बढ़ने के कारण समग्र मार्जिन पर दबाव साफ दिख रहा है।



ज्वैलरी कंपनियों के लिए दोधारी तलवारKISNA डायमंड एंड गोल्ड ज्वैलरी के सीईओ पराग शाह का कहना है कि ज्वैलरी कंपनियों के लिए बढ़ती सोने की कीमतें दोधारी तलवार की तरह हैं। एक ओर ऊंची सोने की कीमतें रुपये के लिहाज से टॉपलाइन ग्रोथ को बढ़ाती हैं और इन्वेंट्री के मूल्यांकन को बेहतर बनाती हैं। दूसरी ओर वे बिक्री की मात्रा को कम करती हैं और वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को बढ़ाती हैं।



विश्लेषक निवेशकों को ज्वैलरी कंपनियों में निवेश करने से पहले सावधानी से वैल्यूएशन करने की सलाह दे रहे हैं। गिरती बिक्री की मात्रा का मुकाबला करने के लिए ज्वैलरी कंपनियां ज्‍यादा मार्जिन वाले स्टडेड ज्वैलरी (हीरे-मोती जड़े गहने) पर अपना फोकस कर रही हैं। साथ ही, वे बदलते उपभोक्ता रुझानों के अनुरूप डिजिटल बिक्री चैनलों को बेहतर बना रही हैं। अपने रिटेल फुटप्रिंट का विस्तार कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विविध उत्पाद पोर्टफोलियो, मजबूत ब्रांड पहचान और वैल्यू-एडेड उत्पादों पर फोकस करने वाली फर्में बेहतर प्रदर्शन करेंगी। इसके अलावा, प्रीमियम और ब्रांडेड सेगमेंट को लक्षित करने वाली कंपनियां मात्रा में गिरावट को कम करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।

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