यहां आपको एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भारतीय सिनेमा की सबसे 'मनहूस' फिल्म माना जाता है। इसे बनने में पूरे 24 साल लगे पर यह दो एक्टर्स के साथ-साथ डायरेक्टर की भी जान लील गई। जब यह फिल्म 43 साल पहले रिलीज हुई थी, तो बुरी तरह फ्लॉप रही थी। इस फिल्म में निम्मी और संजीव कुमार लीड रोल में थे और इसका नाम था 'लव एंड गॉड'। फिल्म को के. आसिफ ने डायरेक्ट किया था। आसिफ इससे पहले 'मुगले-आजम' बना चुके थे, जिसे बनने में 16 साल लगे थे। लेकिन जैसी मनहूसियत इस फिल्म के बनने के दौरान देखने को मिली, उसने सबका दिल दहला दिया था।
'लव एंड गॉड' को लेकर के. आसिफ ने बहुत बड़े सपने देखे थे। वह चाहते थे कि यह भी 'मुगले-आजम' जैसी क्लासिक बने, पर इसके बनने के दौरान कुछ ऐसे हादसे हुए कि इसे 'मनहूस' कहा जाने लगा। इस फिल्म में काम करने वाले कुछ कलाकार मौत की गोद में समा गए। यहां तक कि डायरेक्टर की भी मौत हो गई।
1986 में रिलीज हुई थी 'लव एंड गॉड' ये थी कहानी
'लव एंड गॉड' साल 1986 रिलीज हुई थी। यह लैला मजनू की कहानी पर आधारित थी। फिल्म की कहानी दो अरबी किरदारों- लैला और कैश की थी। इसमें के. आसिफ ने लैला के रोल के लिए एक्ट्रेस निम्मी को साइन किया था, वहीं मजनू के रोल के लिए गुरु दत्त को। हालांकि, गुरु दत्त इस किरदार को निभाने को लेकर झिझक रहे थे, पर के. आसिफ ने उन्हें किसी तरह फिल्म के लिए राजी कर लिया। और तब साल 1962 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई।
गुरु दत्त को मिला था मजनू का रोल
हालांकि, गुरु दत्त उस वक्त निजी जिंदगी में बहुत ही मुश्किलों से गुजर रहे थे। उनकी पिछली फिल्म 'कागज के फूल' फ्लॉप हो गई थी और वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। गुरु दत्त को अपना घर गिरवी तक रखना पड़ा। यही नहीं, पत्नी गीता दत्त के साथ भी उनके रिश्ते खराब चल रहे थे। यह भी बताया जाता है कि गुरु दत्त ने दो बार सुसाइड करने की कोशिश की थी।
गुरु दत्त की मौत, शराब के साथ नींद की गोलियां खाईं, घर में लाश मिली
एक रात गुरु दत्त और गीता दत्त का झगड़ा हुआ। गीता घर छोड़कर चली गईं और गुरु दत्त ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने शराब के साथ नींद की गोलियां खा लीं। अगली सुबह गुरु दत्त की मौत की खबर मिली, जिसने हर किसी को झकझोर दिया। के. आसिफ को भी तगड़ा झटका लगा। उनकी फिल्म बीच में रुक गई। तब वह एक्टर संजीव कुमार से मिले। वह संजीव से एक फिल्म के प्रीमियर में मिले थे और वहीं पर उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करने का फैसला कर लिया था।
गुरु दत्त वाले रोल के लिए संजीव कुमार को किया साइन
बताया जाता है कि के.आसिफ ने संजीव कुमार का पेशेंस टेस्ट करना चाहा। इसलिए उन्होंने संजीव को एक दूसरी फिल्म 'सस्ता खून महंगा पानी' में कास्ट किया, जिसकी शूटिंग करने राजस्थान भेजा। चूंकि, 'लव एंड गॉड' भी राजस्थान में शूट की जानी थी, इसलिए आसिफ देखना चाहते थे कि संजीव कितना सहन कर सकते हैं। संजीव कामयाब रहे और आसिफ ने उन्हें मजनू के रोल में साइन कर लिया।
तभी डायरेक्टर के. आसिफ की मौत, संजीव की बांहों में तोड़ा दम
'लव एंड गॉड' की शूटिंग दोबारा शुरू हुई, पर इसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। हुआ यूं कि साल 1971 में संजीव ने कुछ समय के लिए मुंबई छोड़ दिया और किसी और प्रोजेक्ट में बिजी हो गए। जब वह वापस मुंबई लौटे तो के. आसिफ उनसे मिलने गए। जब आसिफ संजीव से उनके कमरे में बैठकर बात कर रहे थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। संजीव ने आसिफ को देखा और संभालने की कोशिश की, पर आसिफ ने उनकी बांहों में ही दम तोड़ दिया।
किसी तरह शुरू हुआ शूट तो संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मौत, कई और कलाकार मरे
संजीव कुमार टूट गए थे। फिल्म फिर से बीच में लटक गई। तब एक्टर आसिफ की फिल्म को पूरा करने के लिए फंड जुटाने में लग गए। उन्होंने कई प्रोड्यूसर्स और यहां तक कि दिलीप कुमार को भी मदद के लिए अप्रोच किया, पर कोई आगे नहीं आया। फिर संजीव कुमार प्रोड्यूसर केसी बोकाडिया से मिले। वह 'लव एंड गॉड' को फंड देने के लिए राजी हुए। शूटिंग शुरू हुई और फिर कुछ दिन बाद ही संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
लोग मानने लगे 'मनहूस' है फिल्म, ऐसे जुगाड़ से 24 साल बाद की गई रिलीज
इसके बाद तो माना जाने लगा कि 'लव एंड गॉड' एक 'मनहूस और शापित' फिल्म है। ऐसा इसलिए क्योंकि डायरेक्टर के. आसिफ और एक्टर संजीव कुमार के अलावा फिल्म के पूरे होने तक कई और कलाकारों की मौत हो चुकी थी। चूंकि, केसी बोकाडिया ने फिल्म में काफी पैसा लगाया था, इसलिए उन्होंने उसे उसी हालत में रिलीज करने का फैसला किया। बची हुई शूटिंग को बॉडी डबल के साथ पूरा किया गया। संजीव कुमार के लिए बॉडी डबल इस्तेमाल किया गया और एडिटिंग इतनी खराब थी कि फिल्म का कबाड़ा ही हो गया। खैर, तमाम मुश्किलों के बाद 'लव एंड गॉड' साल 1986 में रिलीज हो सकी और बुरी तरह फ्लॉप रही।
'लव एंड गॉड' को लेकर के. आसिफ ने बहुत बड़े सपने देखे थे। वह चाहते थे कि यह भी 'मुगले-आजम' जैसी क्लासिक बने, पर इसके बनने के दौरान कुछ ऐसे हादसे हुए कि इसे 'मनहूस' कहा जाने लगा। इस फिल्म में काम करने वाले कुछ कलाकार मौत की गोद में समा गए। यहां तक कि डायरेक्टर की भी मौत हो गई।
1986 में रिलीज हुई थी 'लव एंड गॉड' ये थी कहानी
'लव एंड गॉड' साल 1986 रिलीज हुई थी। यह लैला मजनू की कहानी पर आधारित थी। फिल्म की कहानी दो अरबी किरदारों- लैला और कैश की थी। इसमें के. आसिफ ने लैला के रोल के लिए एक्ट्रेस निम्मी को साइन किया था, वहीं मजनू के रोल के लिए गुरु दत्त को। हालांकि, गुरु दत्त इस किरदार को निभाने को लेकर झिझक रहे थे, पर के. आसिफ ने उन्हें किसी तरह फिल्म के लिए राजी कर लिया। और तब साल 1962 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई।
गुरु दत्त को मिला था मजनू का रोल
हालांकि, गुरु दत्त उस वक्त निजी जिंदगी में बहुत ही मुश्किलों से गुजर रहे थे। उनकी पिछली फिल्म 'कागज के फूल' फ्लॉप हो गई थी और वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। गुरु दत्त को अपना घर गिरवी तक रखना पड़ा। यही नहीं, पत्नी गीता दत्त के साथ भी उनके रिश्ते खराब चल रहे थे। यह भी बताया जाता है कि गुरु दत्त ने दो बार सुसाइड करने की कोशिश की थी।
गुरु दत्त की मौत, शराब के साथ नींद की गोलियां खाईं, घर में लाश मिली
एक रात गुरु दत्त और गीता दत्त का झगड़ा हुआ। गीता घर छोड़कर चली गईं और गुरु दत्त ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने शराब के साथ नींद की गोलियां खा लीं। अगली सुबह गुरु दत्त की मौत की खबर मिली, जिसने हर किसी को झकझोर दिया। के. आसिफ को भी तगड़ा झटका लगा। उनकी फिल्म बीच में रुक गई। तब वह एक्टर संजीव कुमार से मिले। वह संजीव से एक फिल्म के प्रीमियर में मिले थे और वहीं पर उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करने का फैसला कर लिया था।
गुरु दत्त वाले रोल के लिए संजीव कुमार को किया साइन
बताया जाता है कि के.आसिफ ने संजीव कुमार का पेशेंस टेस्ट करना चाहा। इसलिए उन्होंने संजीव को एक दूसरी फिल्म 'सस्ता खून महंगा पानी' में कास्ट किया, जिसकी शूटिंग करने राजस्थान भेजा। चूंकि, 'लव एंड गॉड' भी राजस्थान में शूट की जानी थी, इसलिए आसिफ देखना चाहते थे कि संजीव कितना सहन कर सकते हैं। संजीव कामयाब रहे और आसिफ ने उन्हें मजनू के रोल में साइन कर लिया।
तभी डायरेक्टर के. आसिफ की मौत, संजीव की बांहों में तोड़ा दम
'लव एंड गॉड' की शूटिंग दोबारा शुरू हुई, पर इसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। हुआ यूं कि साल 1971 में संजीव ने कुछ समय के लिए मुंबई छोड़ दिया और किसी और प्रोजेक्ट में बिजी हो गए। जब वह वापस मुंबई लौटे तो के. आसिफ उनसे मिलने गए। जब आसिफ संजीव से उनके कमरे में बैठकर बात कर रहे थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। संजीव ने आसिफ को देखा और संभालने की कोशिश की, पर आसिफ ने उनकी बांहों में ही दम तोड़ दिया।
किसी तरह शुरू हुआ शूट तो संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मौत, कई और कलाकार मरे
संजीव कुमार टूट गए थे। फिल्म फिर से बीच में लटक गई। तब एक्टर आसिफ की फिल्म को पूरा करने के लिए फंड जुटाने में लग गए। उन्होंने कई प्रोड्यूसर्स और यहां तक कि दिलीप कुमार को भी मदद के लिए अप्रोच किया, पर कोई आगे नहीं आया। फिर संजीव कुमार प्रोड्यूसर केसी बोकाडिया से मिले। वह 'लव एंड गॉड' को फंड देने के लिए राजी हुए। शूटिंग शुरू हुई और फिर कुछ दिन बाद ही संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
लोग मानने लगे 'मनहूस' है फिल्म, ऐसे जुगाड़ से 24 साल बाद की गई रिलीज
इसके बाद तो माना जाने लगा कि 'लव एंड गॉड' एक 'मनहूस और शापित' फिल्म है। ऐसा इसलिए क्योंकि डायरेक्टर के. आसिफ और एक्टर संजीव कुमार के अलावा फिल्म के पूरे होने तक कई और कलाकारों की मौत हो चुकी थी। चूंकि, केसी बोकाडिया ने फिल्म में काफी पैसा लगाया था, इसलिए उन्होंने उसे उसी हालत में रिलीज करने का फैसला किया। बची हुई शूटिंग को बॉडी डबल के साथ पूरा किया गया। संजीव कुमार के लिए बॉडी डबल इस्तेमाल किया गया और एडिटिंग इतनी खराब थी कि फिल्म का कबाड़ा ही हो गया। खैर, तमाम मुश्किलों के बाद 'लव एंड गॉड' साल 1986 में रिलीज हो सकी और बुरी तरह फ्लॉप रही।
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