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Russian Oil and India: ट्रंप जो चाहते थे वो हो ही गया... रूसी तेल को लेकर रिलायंस समेत भारत की 5 बड़ी कंपनियों ने लिया यह फैसला

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नई दिल्ली: आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इच्छा पूरी हुई। भारत ने दिसंबर में आने वाले रूसी कच्चे तेल की खरीद कम कर दी है। यह दिखाता है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और अमेरिका के साथ व्यापारिक बातचीत का भारत की खरीद पर बड़ा असर पड़ रहा है। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत की पांच बड़ी तेल रिफाइनरियों ने अगले महीने के लिए रूस से तेल खरीदने का कोई ऑर्डर नहीं दिया है। आमतौर पर अगले महीने के लिए कच्चे तेल के सौदे चालू महीने की 10 तारीख तक हो जाते हैं।

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत के इस खरीद पैटर्न में बदलाव के पीछे कई कारण हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में भारत के सभी आयात पर टैरिफ दोगुना करके 50% कर दिया था। इसके बाद, उन्होंने पिछले महीने रूस के दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए थे। पिछले कुछ सालों से भारत रियायती रूसी कच्चे तेल पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गया था। अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह यूक्रेन में रूस के युद्ध को फंड करने में मदद कर रहा है।


इन कंपनियों ने रोकी खरीदजिन पांच रिफाइनरियों ने रूसी तेल की खरीद कम की है उनके नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड हैं। केप्लर के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक भारत द्वारा आयातित रूसी तेल का दो-तिहाई हिस्सा इन्हीं कंपनियों ने खरीदा है।


क्यों लिया यह फैसलाइन कंपनियों की यह सावधानी आंशिक रूप से नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत का नतीजा हो सकती है। राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को कहा था कि दोनों देश एक समझौते के काफी करीब पहुंच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि भारत ने इन वार्ताओं के हिस्से के रूप में अमेरिका से अधिक कच्चा तेल खरीदने का वादा किया है।

इन कंपनियों ने खरीदा रूसी तेलकेवल दो कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) और नायरा एनर्जी लिमिटेड ने दिसंबर के लिए कुछ रूसी कच्चा तेल खरीदा है। IOC ने उन विक्रेताओं से खरीदा है जिन पर बैन नहीं लगा है। वहीं नायरा एनर्जी (जिसका कुछ हिस्सा रोसनेफ्ट के पास है) अभी भी पूरी तरह से रूसी कच्चे तेल पर निर्भर है।

इस साल खूब खरीदा रूसी तेलइस साल भारत ने अपने कच्चे तेल का 36% हिस्सा रूस से आयात किया है। लेकिन तेल की वैश्विक अधिकता के कारण अब विकल्प ढूंढना आसान हो जाएगा। IOC ने जनवरी-मार्च की डिलीवरी के लिए अमेरिका महाद्वीप से 24 मिलियन बैरल तक तेल खरीदने की कोशिश की है। वहीं, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने हाल ही में जनवरी में आने वाले तेल के लिए अमेरिका और मध्य पूर्व से 4 मिलियन बैरल खरीदा है।

रिफाइनरियों ने रूसी तेल की कमी को पूरा करने के लिए फारस की खाड़ी के अपने पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से भी संपर्क किया है। सूत्रों के अनुसार, सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते अबू धाबी में एक उद्योग सम्मेलन के मौके पर सऊदी अरामको और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के अधिकारियों से मुलाकात की और आपूर्ति का आश्वासन प्राप्त किया।

भारत का क्या है रुख?यह बदलाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। रूसी तेल पर छूट अभी भी मौजूद है, लेकिन प्रतिबंधों का डर खरीदारों को सतर्क कर रहा है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे और साथ ही अपनी ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करे। यह एक नाजुक संतुलन है जिसे भारत सावधानी से साधने की कोशिश कर रहा है।
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