नई दिल्ली: जाने-माने लेखक और निवेशक रॉबर्ट कियोसाकी ने निवेशकों को अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट की चेतावनी दी है। उन्हें अपनी बेस्टसेलिंग किताब 'रिच डैड पुअर डैड' के लिए जाना जाता है। कियोसाकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, 'भारी गिरावट शुरू हो रही है: लाखों लोग बर्बाद हो जाएंगे। खुद को सुरक्षित रखें।' कियोसाकी अपने अनोखे निवेश विचारों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट से लाखों डॉलर गायब हो सकते हैं क्योंकि बाजार आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। उन्होंने निवेशकों को सोना, चांदी, बिटकॉइन और एथेरियम जैसे 'हार्ड एसेट्स' (भौतिक संपत्ति) में निवेश करके खुद को बचाने की सलाह दी है। इन्हें वह अत्यधिक अस्थिरता के समय में सबसे सुरक्षित मानते हैं।
रॉबर्ट कियोसाकी की चेतावनी भले ही अमेरिकी बाजार पर केंद्रित है। लेकिन, दुनिया समेत भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रह सकता। जब अमेरिका या अन्य विकसित बाजारों में क्रैश आता है या मंदी की आशंका गहरी होती है तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सुरक्षा की तलाश में भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा तेजी से निकालना शुरू कर देते हैं। इस बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। जैसा कि अतीत में भी कई ग्लोबल संकटों के दौरान देखा गया है। निवेशकों के करोड़ों रुपये एक ही दिन में डूब सकते हैं।
कागजी संपत्ति को बताया नकली पैसाकियोसाकी का मानना है कि स्टॉक, बॉन्ड और फिएट करेंसी (जैसे रुपया, डॉलर) जैसे 'पेपर एसेट्स' (कागजी संपत्ति) 'नकली पैसा' हैं। ये सिस्टमैटिक कोलैप्स (पूरी व्यवस्था का ढह जाना) के प्रति संवेदनशील हैं। इसके उलट वह कीमती धातुओं और क्रिप्टोकरेंसी जैसे 'रियल एसेट्स' को महंगाई, कर्ज संकट और केंद्रीय बैंकों की नीतियों से बचाव का तरीका मानते हैं।
कियोसाकी की ताजा चेतावनी उनकी पिछली भविष्यवाणियों की तरह ही है। तब उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान और 2022 में दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका जताई थी। इस साल की शुरुआत में उन्होंने दावा किया था कि हाइपरइन्फ्लेशन (अत्यधिक महंगाई) पहले ही आ चुकी है। अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की घटती मांग के कारण लाखों लोग वित्तीय बर्बादी का सामना कर सकते हैं।
ऑनलाइन छिड़ गई है बहस कियोसाकी के इस बयान पर ऑनलाइन बहस छिड़ गई है। कुछ लोग उनकी चिंताओं से सहमत हैं। जबकि अन्य उनकी बार-बार की गिरावट की चेतावनियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई बातें बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'बॉब, आप हमेशा से हर साल गिरावट की बात करते आ रहे हैं... एक दिन आप संयोग से सही होंगे। बाजार सिर्फ गिरते नहीं हैं, वे बदलते हैं। लिक्विडिटी (पैसे की उपलब्धता) कभी खत्म नहीं होती, बस इधर-उधर चली जाती है।'
एक अन्य यूजर ने चेतावनी दी कि अगर लिक्विडिटी कम हो जाती है तो क्रिप्टो एसेट्स इक्विटी (शेयरों) से भी ज्यादा गिर सकते हैं। उन्होंने लिखा, 'अगर लिक्विडिटी की समस्या के कारण शेयर गिरते हैं तो $BTC और चांदी दोगुनी तेजी से गिरेंगे।' हालांकि, कुछ लोगों ने सोने और चांदी में कियोसाकी के विश्वास का समर्थन किया। उन्हें अनिश्चितता के बीच असली 'सेफ-हेवन एसेट्स' (सुरक्षित संपत्ति) कहा।
हाल ही में कीमती धातुओं में कमजोरी देखी गई है। पारंपरिक रूप से ये महंगाई से बचाव का काम करती हैं। इसका एक कारण अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना और वैश्विक जोखिम लेने की प्रवृत्ति का बढ़ना है। पिछले कुछ हफ्तों में सोने और चांदी की कीमतों में नरमी आई है क्योंकि निवेशक इक्विटी और डॉलर-आधारित संपत्तियों की ओर लौट रहे हैं। वहीं, दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन पर भी दबाव है। यह इस महीने लगभग 5% गिर गया है, जो अक्टूबर में अपने रिकॉर्ड ऊंचे स्तर 126,000 डॉलर से नीचे लगभग 104,782 डॉलर पर आ गया है। एथेरियम और अन्य डिजिटल टोकन में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई है। ये क्रिप्टो बाजार में निवेशकों की घटती दिलचस्पी को दर्शाती है।
जैसे-जैसे कियोसाकी की चेतावनियां फिर से बहस छेड़ रही हैं, निवेशक बंटे हुए हैं। कुछ मंदी की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, अन्य इस बात पर दांव लगा रहे हैं कि बाजार, जैसा कि इतिहास अक्सर दिखाता है, अनुकूलित होगा और ठीक हो जाएगा।
रॉबर्ट कियोसाकी की चेतावनी भले ही अमेरिकी बाजार पर केंद्रित है। लेकिन, दुनिया समेत भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रह सकता। जब अमेरिका या अन्य विकसित बाजारों में क्रैश आता है या मंदी की आशंका गहरी होती है तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सुरक्षा की तलाश में भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा तेजी से निकालना शुरू कर देते हैं। इस बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। जैसा कि अतीत में भी कई ग्लोबल संकटों के दौरान देखा गया है। निवेशकों के करोड़ों रुपये एक ही दिन में डूब सकते हैं।
कागजी संपत्ति को बताया नकली पैसाकियोसाकी का मानना है कि स्टॉक, बॉन्ड और फिएट करेंसी (जैसे रुपया, डॉलर) जैसे 'पेपर एसेट्स' (कागजी संपत्ति) 'नकली पैसा' हैं। ये सिस्टमैटिक कोलैप्स (पूरी व्यवस्था का ढह जाना) के प्रति संवेदनशील हैं। इसके उलट वह कीमती धातुओं और क्रिप्टोकरेंसी जैसे 'रियल एसेट्स' को महंगाई, कर्ज संकट और केंद्रीय बैंकों की नीतियों से बचाव का तरीका मानते हैं।
कियोसाकी की ताजा चेतावनी उनकी पिछली भविष्यवाणियों की तरह ही है। तब उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान और 2022 में दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका जताई थी। इस साल की शुरुआत में उन्होंने दावा किया था कि हाइपरइन्फ्लेशन (अत्यधिक महंगाई) पहले ही आ चुकी है। अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की घटती मांग के कारण लाखों लोग वित्तीय बर्बादी का सामना कर सकते हैं।
ऑनलाइन छिड़ गई है बहस कियोसाकी के इस बयान पर ऑनलाइन बहस छिड़ गई है। कुछ लोग उनकी चिंताओं से सहमत हैं। जबकि अन्य उनकी बार-बार की गिरावट की चेतावनियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई बातें बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'बॉब, आप हमेशा से हर साल गिरावट की बात करते आ रहे हैं... एक दिन आप संयोग से सही होंगे। बाजार सिर्फ गिरते नहीं हैं, वे बदलते हैं। लिक्विडिटी (पैसे की उपलब्धता) कभी खत्म नहीं होती, बस इधर-उधर चली जाती है।'
एक अन्य यूजर ने चेतावनी दी कि अगर लिक्विडिटी कम हो जाती है तो क्रिप्टो एसेट्स इक्विटी (शेयरों) से भी ज्यादा गिर सकते हैं। उन्होंने लिखा, 'अगर लिक्विडिटी की समस्या के कारण शेयर गिरते हैं तो $BTC और चांदी दोगुनी तेजी से गिरेंगे।' हालांकि, कुछ लोगों ने सोने और चांदी में कियोसाकी के विश्वास का समर्थन किया। उन्हें अनिश्चितता के बीच असली 'सेफ-हेवन एसेट्स' (सुरक्षित संपत्ति) कहा।
हाल ही में कीमती धातुओं में कमजोरी देखी गई है। पारंपरिक रूप से ये महंगाई से बचाव का काम करती हैं। इसका एक कारण अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना और वैश्विक जोखिम लेने की प्रवृत्ति का बढ़ना है। पिछले कुछ हफ्तों में सोने और चांदी की कीमतों में नरमी आई है क्योंकि निवेशक इक्विटी और डॉलर-आधारित संपत्तियों की ओर लौट रहे हैं। वहीं, दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन पर भी दबाव है। यह इस महीने लगभग 5% गिर गया है, जो अक्टूबर में अपने रिकॉर्ड ऊंचे स्तर 126,000 डॉलर से नीचे लगभग 104,782 डॉलर पर आ गया है। एथेरियम और अन्य डिजिटल टोकन में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई है। ये क्रिप्टो बाजार में निवेशकों की घटती दिलचस्पी को दर्शाती है।
जैसे-जैसे कियोसाकी की चेतावनियां फिर से बहस छेड़ रही हैं, निवेशक बंटे हुए हैं। कुछ मंदी की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, अन्य इस बात पर दांव लगा रहे हैं कि बाजार, जैसा कि इतिहास अक्सर दिखाता है, अनुकूलित होगा और ठीक हो जाएगा।
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