वज़न ठीक रहे तो लाइफस्टाइल की कई परेशानियां अमूमन दूर ही रहती हैं। लिवर फैटी नहीं होता, दिल दुरुस्त रहता है, साथ ही उम्र असल से कुछ कम दिखती है। लेकिन जो मोटापे का शिकार होते हैं, इसे कम करने के लिए अक्सर शॉर्टकट का इस्तेमाल करने की कोशिश में रहते हैं। यह सोचे बिना कि यह तरीका उनके लिए सही है भी या नहीं? इसका कितना नुकसान हो सकता है?
कंपनियां भी मोटापे को कम करने के लिए दवा, इंजेक्शन आदि लेकर आती रहती हैं। आजकल दो दवाओं के इंजेक्शन की चर्चा है। अहम बात यह कि ये उन लोगों के लिए बनाए गए थे जिनमें मोटापे की वजह से टाइप-2 डायबिटीज़ काबू में न आ रही हो। लेकिन इनका इस्तेमाल अब सामान्य लोग भी कर रहे हैं। क्या यह सही है, ये दवाएं कैसे काम करती हैं? आइए जानते हैं।
ऐसे काम करते हैं ये इंजेक्शन
हमारे शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन होते हैं जो भूख और पाचन क्रिया को नियंत्रित करते हैं। इनमें से एक है GLP-1 (पूरा नाम: Glucagon-Like Peptide-1, यह हमारी आंतों से निकलता है) जो हर बार खाने के बाद पेट और दिमाग दोनों को संकेत देता है कि 'अब पेट भर गया, ज्यादा मत खाओ'। Ozempic इसी हार्मोन की तरह काम करती है। यह दवा खाना पचाने की स्पीड कम कर देती है। इससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती। इसके साथ ही यह ब्लड शुगर को संतुलित रखती है ताकि अचानक भूख या मीठा खाने की तीव्र इच्छा भी न हो।
जहां तक Mounjaro की बात है तो यह एक कदम आगे है। यह न सिर्फ GLP-1 बल्कि एक और हार्मोन GIP (पूरा नाम है: Glucose-Dependent Insulinotropic Polypeptide, यह भी हमारी आंतों से निकलता है) को भी ऐक्टिव करती है। दरअसल, GIP हॉर्मोन शरीर में एनर्जी के इस्तेमाल और फैट जलाने की प्रक्रिया को तेज करता है। इसलिए मौंजारो से वज़न घटने की रफ्तार ज्यादा होती है।
डॉक्टर की सलाह बिना न हो उपयोग, सभी के लिए नहीं
कंपनियां रिसर्च करने के बाद इंजेक्शन या दवा लेकर आती हैं। इंसानों पर लाने से पहले काफी प्रयोग करती हैं। ऊपर की दोनों दवाओं पर भी ऐसा ही किया गया है। यही वजह है कि ये प्रभावी हैं। वहीं एक सच यह भी है कि अगर किसी दवा के इफेक्ट्स होते हैं तो साइड इफेक्ट्स होना भी स्वाभाविक है। खासकर, तब जब एक जैसी दवा सभी को दी जाए जबकि वह दवा एक खास ग्रुप के लिए ही मार्केट में लॉन्च की गई थी।
ऐसे में परेशानी खड़ी होगी ही। वज़न कम करने वाला इंजेक्शन ओजेम्पिक और मौंजारो खासकर टाइप-2 डायबिटीज़ के लोगों को देने के लिए ही तैयार किया गया था। ऐसे लोग जिनका वज़न काफी ज्यादा हो।
किन लोगों को नहीं लेना चाहिए:
ऐसे लोग डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं:
ऐसे पता करें मोटापा...
क्या है BMI और कैसे पता करें?
1. बॉडी मास इंडेक्स (BMI) वेस्ट-टु-हिप रेश्यो से क्या पता चलता है?: टमी अगर बाहर की तरफ झांक रही है तो यह मोटापे की निशानी है। वैसे कोई शख्स अंडरवेट है, नॉर्मल है या फिर मोटापे का शिकार, यह जानने के लिए BMI (बॉडी मास इंडेक्स) पता करना होता है। BMI जानने के लिए वज़न और लंबाई का अनुपात निकालते हैं।
अगर BMI है
वेस्ट-टु-हिप रेश्यो से क्या पता चलता है?
कमर से हिप तक के माप के रेश्यो का मतलब ऐसे समझें:
कमर और हिप के माप का रेश्यो हमें मोटापे और दिल की बीमारी की चेतावनी देता है। यह फैटी लिवर और शुगर का इंडिकेटर भी है। जिन महिलाओं में नाशपाती जैसा आकार पाया जाता है, उनमें शुगर जैसी बीमारी का खतरा कम होता है यानी हिप्स पर चर्बी होती है, पेट पर बहुत कम चर्बी। वहीं जिनका सेब जैसा आकार होता है। इसमें शरीर के पेट वाले हिस्से में ज्यादा फैट जमा होने से कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं। पुरुषों में यह तोंद के रूप में दिखता है।
अगर किसी शख्स (पुरुष/महिला) की लंबाई 5 फुट 6 इंच है तो इसे सबसे पहले CM (सेंटीमीटर) में बदलें। 5 फुट 6 इंच को सेंटीमीटर में बदलने पर यह करीब 171cm होता है। अब 171cm में से 100 घटाएं। अब बचेगा 71 यानी उस शख्स का वजन 71 किलोग्राम के आसपास ही होना चाहिए।
क्या इन्हें लेने के बाद डाइट कंट्रोल नहीं करनी होगी?
अगर किसी को उसकी डाइट से कम भोजन करने को कहा जाए तो उसे दबाव महसूस होता है। जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, मिठाई से दूरी बनाने को कहें तो बहुत मुश्किल लगता है। लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि वज़न घटाने वाले इंजेक्शन लेने के बाद कुछ भी खाने की छूट रहेगी तो यह सच नहीं है। दरअसल, यह दवा भूख कम करती है। लेकिन लाइफस्टाइल में सुधार और डाइट कंट्रोल की ज़रूरत तो पड़ेगी ही।
कब तक कारगर है ये दवाएं?
ये इंजेक्शन या दवाएं तब तक कारगर होती हैं, जब तक अमूमन हम इन्हें लेते रहते हैं। इन्हें बंद करने के बाद मुमकिन है कि वज़न फिर से बढ़ जाए। ये तब ही सफल हैं जब ज़िंदगी को अनुशासित भी रखें। लाइफस्टाइल को सही रखें।
किस तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
इन दवाओं को तभी लें जब कोई दूसरा उपाय न बचे। वज़न कम करने और शुगर को काबू करने का सबसे सुरक्षित तरीका है खुद कोशिश करना। इसे हम कुदरती तरीका भी कह सकते हैं। पर कई ऐसे ओवरवेट लोग भी ये दवाएं ले लेते हैं जिन्हें नहीं लेनी चाहिए। अगर फौरन ही दवा के साइड इफेक्ट्स न दिखें तो इसका यह मतलब नहीं कि शरीर के भीतर सब ठीक चल रहा है। कई बार साइड इफेक्ट्स दिखने में कुछ वक्त लग सकता है जबकि भीतर गड़बड़ी शुरू हो चुकी होती है।
ये-ये हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स
ये नुकसान भी हैं:
चूंकि ये दवाएं भूख कम करती हैं, इसलिए हमारा खाना काफी कम हो जाता है। कैलरी कम लेने के चक्कर में विटामिन्स और मिनरल्स भी बहुत कम लेते हैं। फ्रूट्स, सलाद, हरी सब्जियां, प्रोटीन आदि कम लेने का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। शरीर में मिनरल्स, विटामिन और प्रोटीन की भी कमी होने लगती है। इसलिए जिन लोगों को ऐसी दवाएं दी जा रही हैं, वे अपनी डाइट ज़रूर सही रखें।
शॉर्टकट की वजह से पसंदीदा?
जिन लोगों के लिए फिजिकल ऐक्टिविटी करना मुश्किल है, उनके लिए ये इंजेक्शन कारगर हैं क्योंकि इन्हें लेना उनकी मजबूरी है। लेकिन जो लोग फिजिकल ऐक्टिविटी बढ़ाकर और डाइट काबू करके, अनुशासित जीवन जीकर वज़न कम कर सकते हैं उन्हें इनसे दूर ही रहना चाहिए। ऐसे कई तरह के डाइट प्लान हैं जिन्हें अपनाकर वज़न कम किया जा सकता है। असल में हम मेहनत से बचना चाहते। हर दिन कौन पसीना बहाए? कौन दौड़ लगाए? कौन कम खाए? कौन मीठा खाना बंद या कम करे? कौन जंक फूड से परहेज करे? ऐसे कितने ही सवाल होते हैं जो हमें आसान राह चुनने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे लिए ये शॉर्टकट हैं। लेकिन शॉर्टकट के साइड इफेक्ट्स भी ज़रूर होंगे, ये भी न भूलें।
ये-ये हैं कारगर डाइट प्लान
नीचे कुछ डाइट प्लान बताए जा रहे हैं जिनसे वजन कम किया जा सकता है। यहां इस बात का ध्यान रखना है कि हर शख्स पर एक ही तरह का डाइट प्लान काम करे, यह ज़रूर नहीं। इसलिए डाइटिशन की सहायता ली जानी चाहिए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग: इसका मतलब है कि लगातार न खाना यानी खाने के बीच में फास्ट करना। इसे एक फिक्स पैटर्न के साथ करते हैं। इसके कई तरीके हो सकते हैं। सबसे मशहूर 16/8 यानी 16 घंटे फास्ट और 8 घंटे की विंडो के बीच ही कुछ खाना है। इस दौरान क्या खाएं, इसे लेकर कोई खास नियम नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि जब कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा हो तो खानपान में हेल्दी फूड ही लेना चाहिए। एक बैलंस्ड थाली हो, जिसमें कार्बोहाइड्रेट के साथ प्रोटीन, फाइबर, मिनरल, विटामिन्स आदि सब कुछ हों। कैलरी ज्यादा न लें। साथ ही, अगर किसी ने एक दिन फास्टिंग और दूसरे दिन खाने वाला तरीका अपनाया है तो भी कैलरी का ध्यान जरूर रखना चाहिए। ज्यादा कैलरी वाली डाइट से बचें।
कीटो डायट प्लान: इसमें ऐसे फूड आइटम्स को शामिल किया जाता है, जिनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम से कम हो। दरअसल, हमारे शरीर को तुरंत एनर्जी देने के लिए कार्बोहाइड्रेट ही सबसे मुफीद जरिया होता है। ऐसे में जब हम अपनी डाइट से कार्बोहाइड्रेट को निकाल देते हैं तो मजबूरी में शरीर अंदर ही मौजूद फैट को तोड़कर एनर्जी लेता है। इस तरह शरीर में फैट की मात्रा कम होने लगती है और वज़न घटता है।
आयुर्वेद में भी हैं वज़न घटाने के उपाय
भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में संतुलित जीवनशैली और खानपान को अहमियत दी गई है। आयुर्वेद के अनुसार, मोटापा शरीर में ज्यादा वसा के जमाव का नतीजा है, जिसे कफज (ठंडी चीज़ें) आहार के ज्यादा इस्तेमाल और निष्क्रिय जीवनशैली से पैदा हुआ माना जाता है। मोटापा शरीर में असंतुलित वसा और कफ की अधिकता से होता है। मोटापे को काबू में करने के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव
1. खानपान में बदलाव: हल्के, पचने में आसान और कफ दोष न बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन।
2. व्यायाम और फिजिकल ऐक्टिविटी: नियमित योग और व्यायाम से शरीर में वसा को कम करना।
3. औषधियों का सेवन: आयुर्वेदिक औषधियां जैसे त्रिफला, सौंफ, काली मिर्च, पिप्पली आदि का प्रयोग करना, ये वजन कम करने में सहायक होती हैं।
4. जीवनशैली में सुधार: तनाव प्रबंधन, अच्छी नींद और समय पर भोजन का सेवन।
5. पंचकर्म थेरेपी: पंचकर्म थेरेपी से शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के बाद दवा भी शुरू की जाती है। डिटॉक्सिफिकेशन के बाद दवा अच्छी तरह से काम करती है और मेटाबॉलिज़म के स्तर में भी सुधार होता है जिससे मोटापे को दो तरफा वार करके काबू किया जा सकता है। स्नेहन और स्वेदन कराने के बाद वमन और विरेचन के माध्यम से मोटापे को काबू करना बहुत आसान है।
इन्हें डाइट में करें हर दिन शामिल
आंवला: आयुर्वेद में एक अहम और ताकतवर औषधि है। इसमें विटामिन-सी और ऐंटिऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो मेटाबॉलिजम को गति देने में मदद करते हैं। आंवले से शरीर की चर्बी को कम किया जा सकता है और पाचन तंत्र भी बेहतर होता है। रोजाना एक आंवले का रस या चूर्ण लेना लाभकारी हो सकता है। त्रिफला: यह तीन प्रमुख फलों: आंवला, हरीतकी और बिभीतक (बहेड़ा) का मिश्रण है। यह टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने और वज़न कम करने में मददगार है। आधा या एक चम्मच त्रिफला का सेवन सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले पानी के साथ किया जा सकता है। नीम: नीम के पत्ते और उसका रस वज़न घटाने में अहम भूमिका निभाते हैं। नीम शरीर में वसा को कम करने और जिगर की सेहत को सुधारने में मदद करता है। आधा से एक चम्मच नीम का रस या 8-10 पत्तों का सेवन करने से शरीर की सफाई होती है और मेटाबॉलिज़म को गति मिलती है। शहद और नींबू: नींबू में विटामिन C और शहद में ऐंटिऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर की वसा को घटाने में मदद करते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और नींबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से लाभ होता है। अजवाइन: अजवाइन में पाचन तंत्र को सुधारने और शरीर की चर्बी कम करने की खासियत होती हैं। एक गिलास गर्म पानी में आधा से एक चम्मच अजवाइन उबालकर पीने से फायदा होता है। अदरक: इसका सेवन पाचन तंत्र को सुधारने और शरीर की चर्बी को कम करने में मददगार है। अदरक को चाय, स्मूदी या भोजन में शामिल करना चाहिए। यह शरीर के तापमान को बढ़ाती है और वसा को जलाने में मदद करती है। लौंग: अहम मसाला और औषधि है, जो मेटाबॉलिज़म को तेज करने में मदद करती है। इसमें ऐंटिऑक्सिडेंट और ऐंटि-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की चर्बी को कम करने और पाचन को सुधारने में सहायक होते हैं। लौंग को चाय में डालकर या खाने में उपयोग कर सकते हैं। इनके अलावा काली मिर्च, करी पत्ता, सौंफ आदि भी वज़न कम करने में मददगार हैं।
एक्सपर्ट पैनल
-डॉ. अशोक झिंगन, चेयरमैन, डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन
-डॉ. आर. पी. पाराशर, सीनियर आयुर्वेद एक्सपर्ट
-डॉ. अमितेश कुमार, सीनियर कंसल्टेंट, गेस्ट्रो
-परमीत कौर, चीफ डाइटिशन, AIIMS
-डॉ. प्रीति नंदा सिब्बल, कीटो डाइट ऐंड वेलनेस एक्सपर्ट
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कंपनियां भी मोटापे को कम करने के लिए दवा, इंजेक्शन आदि लेकर आती रहती हैं। आजकल दो दवाओं के इंजेक्शन की चर्चा है। अहम बात यह कि ये उन लोगों के लिए बनाए गए थे जिनमें मोटापे की वजह से टाइप-2 डायबिटीज़ काबू में न आ रही हो। लेकिन इनका इस्तेमाल अब सामान्य लोग भी कर रहे हैं। क्या यह सही है, ये दवाएं कैसे काम करती हैं? आइए जानते हैं।
ऐसे काम करते हैं ये इंजेक्शन
हमारे शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन होते हैं जो भूख और पाचन क्रिया को नियंत्रित करते हैं। इनमें से एक है GLP-1 (पूरा नाम: Glucagon-Like Peptide-1, यह हमारी आंतों से निकलता है) जो हर बार खाने के बाद पेट और दिमाग दोनों को संकेत देता है कि 'अब पेट भर गया, ज्यादा मत खाओ'। Ozempic इसी हार्मोन की तरह काम करती है। यह दवा खाना पचाने की स्पीड कम कर देती है। इससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती। इसके साथ ही यह ब्लड शुगर को संतुलित रखती है ताकि अचानक भूख या मीठा खाने की तीव्र इच्छा भी न हो।
जहां तक Mounjaro की बात है तो यह एक कदम आगे है। यह न सिर्फ GLP-1 बल्कि एक और हार्मोन GIP (पूरा नाम है: Glucose-Dependent Insulinotropic Polypeptide, यह भी हमारी आंतों से निकलता है) को भी ऐक्टिव करती है। दरअसल, GIP हॉर्मोन शरीर में एनर्जी के इस्तेमाल और फैट जलाने की प्रक्रिया को तेज करता है। इसलिए मौंजारो से वज़न घटने की रफ्तार ज्यादा होती है।
डॉक्टर की सलाह बिना न हो उपयोग, सभी के लिए नहीं
कंपनियां रिसर्च करने के बाद इंजेक्शन या दवा लेकर आती हैं। इंसानों पर लाने से पहले काफी प्रयोग करती हैं। ऊपर की दोनों दवाओं पर भी ऐसा ही किया गया है। यही वजह है कि ये प्रभावी हैं। वहीं एक सच यह भी है कि अगर किसी दवा के इफेक्ट्स होते हैं तो साइड इफेक्ट्स होना भी स्वाभाविक है। खासकर, तब जब एक जैसी दवा सभी को दी जाए जबकि वह दवा एक खास ग्रुप के लिए ही मार्केट में लॉन्च की गई थी।
ऐसे में परेशानी खड़ी होगी ही। वज़न कम करने वाला इंजेक्शन ओजेम्पिक और मौंजारो खासकर टाइप-2 डायबिटीज़ के लोगों को देने के लिए ही तैयार किया गया था। ऐसे लोग जिनका वज़न काफी ज्यादा हो।
किन लोगों को नहीं लेना चाहिए:
- भले ही टाइप-2 डायबिटीज़ हो, लेकिन वजन ज्यादा न हो तो ये इंजेक्शन या दवा लेने से बचें।
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी ये इंजेक्शन न लें।
- ब्रेस्ट फीड कराने वाली मां भी इनसे दूर रहें।
- बाईपास सर्जरी या पैंक्रियाटाइटिस की हिस्ट्री वाले लोग भी इससे बचें।
- टाइप-1 डायबिटीज़ वालों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है।
ऐसे लोग डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं:
- जिन लोगों का शुगर और मोटापा, दोनों काबू में न हो। ऐसे लोगों को ही इस तरह का इंजेक्शन डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए।
- किसी का वज़न इतना बढ़ गया हो कि वह एक्सरसाइज़, वॉक न कर सकता हो।
- वज़न बढ़ने के साथ, घुटनों में भी काफी दर्द रहता हो। चलने-फिरने में परेशानी हो यानी वह फिजिकल ऐक्टिविटी करने में ही सक्षम न हो।
- सीधे कहें तो जिनके लिए शुगर और मोटापा (जिसकी BMI 30 या इससे ज्यादा हो) बहुत बड़ी परेशानी बन गया हो, वे ले सकते हैं।
ऐसे पता करें मोटापा...
क्या है BMI और कैसे पता करें?
1. बॉडी मास इंडेक्स (BMI) वेस्ट-टु-हिप रेश्यो से क्या पता चलता है?: टमी अगर बाहर की तरफ झांक रही है तो यह मोटापे की निशानी है। वैसे कोई शख्स अंडरवेट है, नॉर्मल है या फिर मोटापे का शिकार, यह जानने के लिए BMI (बॉडी मास इंडेक्स) पता करना होता है। BMI जानने के लिए वज़न और लंबाई का अनुपात निकालते हैं।
अगर BMI है
- 18.5 से कम तो अंडरवेट
- 18.5- 24.5 नॉर्मल
- 25-29.9 ओवरवेट
- 30-34.9 ओबेसिटी
वेस्ट-टु-हिप रेश्यो से क्या पता चलता है?
- अपने हिप के साइज के अनुपात से भी यह जान सकते हैं कि स्वस्थ हैं या नहीं। इसे हम वेस्ट-टु-हिप रेश्यो (WHR) भी कहते हैं। इसके लिए एक मापने का फीता (इंच टेप) लें।
- अब सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों को करीब लाकर मिला लें।
- कमर से हिप का रेश्यो महिलाओं में 0.80 या इससे कम और पुरुषों में 0.85 या उससे कम होना चाहिए।
कमर से हिप तक के माप के रेश्यो का मतलब ऐसे समझें:
कमर और हिप के माप का रेश्यो हमें मोटापे और दिल की बीमारी की चेतावनी देता है। यह फैटी लिवर और शुगर का इंडिकेटर भी है। जिन महिलाओं में नाशपाती जैसा आकार पाया जाता है, उनमें शुगर जैसी बीमारी का खतरा कम होता है यानी हिप्स पर चर्बी होती है, पेट पर बहुत कम चर्बी। वहीं जिनका सेब जैसा आकार होता है। इसमें शरीर के पेट वाले हिस्से में ज्यादा फैट जमा होने से कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं। पुरुषों में यह तोंद के रूप में दिखता है।
अगर किसी शख्स (पुरुष/महिला) की लंबाई 5 फुट 6 इंच है तो इसे सबसे पहले CM (सेंटीमीटर) में बदलें। 5 फुट 6 इंच को सेंटीमीटर में बदलने पर यह करीब 171cm होता है। अब 171cm में से 100 घटाएं। अब बचेगा 71 यानी उस शख्स का वजन 71 किलोग्राम के आसपास ही होना चाहिए।
क्या इन्हें लेने के बाद डाइट कंट्रोल नहीं करनी होगी?
अगर किसी को उसकी डाइट से कम भोजन करने को कहा जाए तो उसे दबाव महसूस होता है। जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, मिठाई से दूरी बनाने को कहें तो बहुत मुश्किल लगता है। लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि वज़न घटाने वाले इंजेक्शन लेने के बाद कुछ भी खाने की छूट रहेगी तो यह सच नहीं है। दरअसल, यह दवा भूख कम करती है। लेकिन लाइफस्टाइल में सुधार और डाइट कंट्रोल की ज़रूरत तो पड़ेगी ही।
कब तक कारगर है ये दवाएं?
ये इंजेक्शन या दवाएं तब तक कारगर होती हैं, जब तक अमूमन हम इन्हें लेते रहते हैं। इन्हें बंद करने के बाद मुमकिन है कि वज़न फिर से बढ़ जाए। ये तब ही सफल हैं जब ज़िंदगी को अनुशासित भी रखें। लाइफस्टाइल को सही रखें।
किस तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
इन दवाओं को तभी लें जब कोई दूसरा उपाय न बचे। वज़न कम करने और शुगर को काबू करने का सबसे सुरक्षित तरीका है खुद कोशिश करना। इसे हम कुदरती तरीका भी कह सकते हैं। पर कई ऐसे ओवरवेट लोग भी ये दवाएं ले लेते हैं जिन्हें नहीं लेनी चाहिए। अगर फौरन ही दवा के साइड इफेक्ट्स न दिखें तो इसका यह मतलब नहीं कि शरीर के भीतर सब ठीक चल रहा है। कई बार साइड इफेक्ट्स दिखने में कुछ वक्त लग सकता है जबकि भीतर गड़बड़ी शुरू हो चुकी होती है।
ये-ये हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स
- शरीर का कुदरती भूख-प्यास का संतुलन बिगड़ जाना
- कई मामलों में दवा बंद करते ही वज़न 60-70% तक वापस बढ़ जाना
- बेचैनी, उदासी या चिड़चिड़ापन अक्सर रहना
- कुछ लोगों में बाल झड़ने की परेशानी होना
- मांसपेशियों में कमजोरी या अचानक ब्लड शुगर गिरने की स्थिति
- लगातार थकान, कमज़ोरी, चक्कर आना और मूड स्विंग होना
- उल्टी, कब्ज, गैस और पेट दर्द लगातार रहना
- कई बार खाना पचने में सामान्य से बहुत ज्यादा वक्त लगना
- पैंक्रियास (हमारे शरीर का वह अंग जहां इंसुलिन का प्रोडक्शन होता है) पर दबाव बढ़ जाता है, इससे पैंक्रियाटाइटिस का खतरा बढ़ जाना
- गॉल ब्लैडर स्टोन बनने की आशंका होना
- थायरॉयड ग्लैंड पर बुरा असर (कुछ मामलों में ट्यूमर का खतरा)।
ये नुकसान भी हैं:
चूंकि ये दवाएं भूख कम करती हैं, इसलिए हमारा खाना काफी कम हो जाता है। कैलरी कम लेने के चक्कर में विटामिन्स और मिनरल्स भी बहुत कम लेते हैं। फ्रूट्स, सलाद, हरी सब्जियां, प्रोटीन आदि कम लेने का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। शरीर में मिनरल्स, विटामिन और प्रोटीन की भी कमी होने लगती है। इसलिए जिन लोगों को ऐसी दवाएं दी जा रही हैं, वे अपनी डाइट ज़रूर सही रखें।
शॉर्टकट की वजह से पसंदीदा?
जिन लोगों के लिए फिजिकल ऐक्टिविटी करना मुश्किल है, उनके लिए ये इंजेक्शन कारगर हैं क्योंकि इन्हें लेना उनकी मजबूरी है। लेकिन जो लोग फिजिकल ऐक्टिविटी बढ़ाकर और डाइट काबू करके, अनुशासित जीवन जीकर वज़न कम कर सकते हैं उन्हें इनसे दूर ही रहना चाहिए। ऐसे कई तरह के डाइट प्लान हैं जिन्हें अपनाकर वज़न कम किया जा सकता है। असल में हम मेहनत से बचना चाहते। हर दिन कौन पसीना बहाए? कौन दौड़ लगाए? कौन कम खाए? कौन मीठा खाना बंद या कम करे? कौन जंक फूड से परहेज करे? ऐसे कितने ही सवाल होते हैं जो हमें आसान राह चुनने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे लिए ये शॉर्टकट हैं। लेकिन शॉर्टकट के साइड इफेक्ट्स भी ज़रूर होंगे, ये भी न भूलें।
ये-ये हैं कारगर डाइट प्लान
नीचे कुछ डाइट प्लान बताए जा रहे हैं जिनसे वजन कम किया जा सकता है। यहां इस बात का ध्यान रखना है कि हर शख्स पर एक ही तरह का डाइट प्लान काम करे, यह ज़रूर नहीं। इसलिए डाइटिशन की सहायता ली जानी चाहिए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग: इसका मतलब है कि लगातार न खाना यानी खाने के बीच में फास्ट करना। इसे एक फिक्स पैटर्न के साथ करते हैं। इसके कई तरीके हो सकते हैं। सबसे मशहूर 16/8 यानी 16 घंटे फास्ट और 8 घंटे की विंडो के बीच ही कुछ खाना है। इस दौरान क्या खाएं, इसे लेकर कोई खास नियम नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि जब कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा हो तो खानपान में हेल्दी फूड ही लेना चाहिए। एक बैलंस्ड थाली हो, जिसमें कार्बोहाइड्रेट के साथ प्रोटीन, फाइबर, मिनरल, विटामिन्स आदि सब कुछ हों। कैलरी ज्यादा न लें। साथ ही, अगर किसी ने एक दिन फास्टिंग और दूसरे दिन खाने वाला तरीका अपनाया है तो भी कैलरी का ध्यान जरूर रखना चाहिए। ज्यादा कैलरी वाली डाइट से बचें।
कीटो डायट प्लान: इसमें ऐसे फूड आइटम्स को शामिल किया जाता है, जिनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम से कम हो। दरअसल, हमारे शरीर को तुरंत एनर्जी देने के लिए कार्बोहाइड्रेट ही सबसे मुफीद जरिया होता है। ऐसे में जब हम अपनी डाइट से कार्बोहाइड्रेट को निकाल देते हैं तो मजबूरी में शरीर अंदर ही मौजूद फैट को तोड़कर एनर्जी लेता है। इस तरह शरीर में फैट की मात्रा कम होने लगती है और वज़न घटता है।
आयुर्वेद में भी हैं वज़न घटाने के उपाय
भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में संतुलित जीवनशैली और खानपान को अहमियत दी गई है। आयुर्वेद के अनुसार, मोटापा शरीर में ज्यादा वसा के जमाव का नतीजा है, जिसे कफज (ठंडी चीज़ें) आहार के ज्यादा इस्तेमाल और निष्क्रिय जीवनशैली से पैदा हुआ माना जाता है। मोटापा शरीर में असंतुलित वसा और कफ की अधिकता से होता है। मोटापे को काबू में करने के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव
1. खानपान में बदलाव: हल्के, पचने में आसान और कफ दोष न बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन।
2. व्यायाम और फिजिकल ऐक्टिविटी: नियमित योग और व्यायाम से शरीर में वसा को कम करना।
3. औषधियों का सेवन: आयुर्वेदिक औषधियां जैसे त्रिफला, सौंफ, काली मिर्च, पिप्पली आदि का प्रयोग करना, ये वजन कम करने में सहायक होती हैं।
4. जीवनशैली में सुधार: तनाव प्रबंधन, अच्छी नींद और समय पर भोजन का सेवन।
5. पंचकर्म थेरेपी: पंचकर्म थेरेपी से शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के बाद दवा भी शुरू की जाती है। डिटॉक्सिफिकेशन के बाद दवा अच्छी तरह से काम करती है और मेटाबॉलिज़म के स्तर में भी सुधार होता है जिससे मोटापे को दो तरफा वार करके काबू किया जा सकता है। स्नेहन और स्वेदन कराने के बाद वमन और विरेचन के माध्यम से मोटापे को काबू करना बहुत आसान है।
इन्हें डाइट में करें हर दिन शामिल
एक्सपर्ट पैनल
-डॉ. अशोक झिंगन, चेयरमैन, डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन
-डॉ. आर. पी. पाराशर, सीनियर आयुर्वेद एक्सपर्ट
-डॉ. अमितेश कुमार, सीनियर कंसल्टेंट, गेस्ट्रो
-परमीत कौर, चीफ डाइटिशन, AIIMS
-डॉ. प्रीति नंदा सिब्बल, कीटो डाइट ऐंड वेलनेस एक्सपर्ट
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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