(सभी तस्वीरें-सांकेतिक हैं)
सीखते हैं शेयरिंग
आमतौर पर लोग ‘शेयरिंग इज केयरिंग’ का असली मतलब लोग अपने भाई-बहन से ही सीखते हैं। बचपन में जब बच्चे अपने खिलौने, कपड़े या अन्य चीजें भाई या बहन के साथ शेयर करते हैं, तो उनके भीतर शेयरिंग की भावना विकसित होती है। इसके बाद यह आदत आगे चलकर अन्य रिश्तों में दूसरों के साथ सहयोग और समझदारी सीखने में मदद करती है।
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मिलता है इमोशनल सपोर्ट
सिबलिंग होने का बड़ा फायदा यह है कि आपको मजबूत इमोशनल सपोर्ट मिलता है। दरअसल, कई बार लोग ऐसी बातें, जो बचपन में पैरेंट्स से या शादी के बाद पार्टनर से नहीं कह पाते,लेकिन भाई या बहन के साथ आसानी से शेयर कर लेते हैं। अपने दिल की बातें साझा करने के बाद उन्हें हल्का महसूस होता है। इससे उन्हें अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने और मानसिक रूप से मजबूत होने में मदद मिलती है।
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अकेलापन नहीं होता महसूस
यह बात सभी जानते हैं कि माता-पिता सिर्फ एक उम्र तक ही हमारे साथ रहते हैं और कभी-कभी दोस्त भी अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में उनके पास भी समय नहीं बचता। लेकिन सिब्लिंग के साथ ऐसा कम होता है, क्योंकि भाई या बहन कभी फैमिली फंक्शन के बहाने तो कभी किसी त्योहार पर मिलते रहते हैं। वहीं, अगर जरूरत के मौके पर भी एक-दूसरे के लिए समय निकाल ही लेते हैं। इससे कभी भी यह महसूस नहीं होता है कि जिंदगी के किसी मोड़ पर अकेले हैं।
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फील होता है सिक्योर
सिब्लिंग होने से सुरक्षा की भावना भी मिलती है। दरअसल, एक उम्र के बाद जब माता-पिता साथ नहीं रहते, तो ऐसा महसूस नहीं होता कि अब कोई अपना नहीं रहा है। भाई या बहन के मुश्किल समय में एक-दूसरे के लिए खड़े होने से सुरक्षा और भरोसे का अहसास होता है।
बनते हैं जिम्मेदार
भाई या बहन होने का एक बड़ा फायदा यह है कि इंसान कम उम्र से ही जिम्मेदार बनता है, जब बड़ा भाई या बहन छोटे का ख्याल रखते हैं और उन्हें चीजें सिखाते हैं, तो बचपन से ही उनमें जिम्मेदारी उठाने की भावना विकसित होती है।
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डिस्केलमर: इस लेख में दी गई सूचना पूरी तरह सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता और सटकीता की जिम्मेदारी नहीं लेता है।