वट सावित्री का व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए बहुत ही पवित्र और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे ही यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाए थे। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। साथ ही इस दिन वट वृक्ष की पूजा होती है। वट वृक्ष को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक माना गया है। इस दिन महिलाओं को शास्त्रों में बताए गए नियमों का विशेष पालन करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वट सावित्री व्रत का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। वट सावित्री व्रत 2025 : महिलाओं को क्या करना चाहिए :1) सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद श्रृंगार करके सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें।2) इसके बाद बरगद (वट) वृक्ष की पूजा करें जल, रोली, मौली, फूल, फल, चना, गुड़ आदि से पूजन करें।3) वट वृक्ष के तने के चारों ओर 7, 11 या 21 बार सूती कच्चा धागा या मौली लपेटें।4) पति की लंबी उम्र की कामना करें और मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें। कई महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास भी करती हैं।5) सावित्री-सत्यवान के प्रतीक रूप में मूर्ति या चित्र बनाकर पूजा करें।6) व्रत का पारण अगले दिन करें, व्रत खोलते समय ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान दें। वट सावित्री व्रत 2025 : क्या नहीं करना चाहिए :1) व्रत के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए, न ही किसी का अपमान करना चाहिए।2) महिलाओं को इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।3) इस दिन पति से कटु वचन या झगड़ा करने से बचें।4) व्रत के दिन अपवित्र वस्त्र (मैले कपड़े) न पहनें।5) वट सावित्री व्रत के दिन व्रती महिलाओं को दोपहर के बाद सोना नहीं चाहिए।
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