नई दिल्ली: इस समय सोना और शेयर , दोनों एक साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जबकि आमतौर पर दोनों एक-दूसरे के विपरीत चलते हैं। सोने के दाम साल 1979 की तरह आसमान छू रहे हैं। वहीं शेयर बाजार साल 1999 की तरह उछल रहे हैं। ऐसे में निवेशक सोच रहे हैं कि ये दोनों, जो आमतौर पर एक-दूसरे के विपरीत चलते हैं, एक साथ कैसे बढ़ सकते हैं। रुचिर शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक कॉलम में इसका एक ही कारण बताया है। उनके मुताबिक दुनिया भर में पैसों का सैलाब सोने और शेयरों दोनों को ऊपर उठा रहा है। इससे गोल्ड ईटीएफ (ETF) में रिकॉर्ड पैसा आ रहा है और शेयर बाजार भी लगातार ऊपर जा रहा है।
खरबों डॉलर की मददशर्मा के मुताबिक महामारी के दौरान और उसके बाद सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने खरबों डॉलर की मदद दी थी। यह पैसा अभी भी बाजार में घूम रहा है और शेयरों और सोने जैसी कई चीजों में तेजी ला रहा है।
हाल के सालों में, अमेरिकी परिवारों ने शेयर और दूसरी जोखिम वाली चीजों में अपना निवेश बढ़ाया है। उन्हें भरोसा है कि सरकार मुश्किल समय में उनकी मदद जरूर करेगी। शर्मा ने कहा कि निवेशकों को थोड़ी सी भी परेशानी होने पर सरकार से मदद की उम्मीद करने की आदत हो गई है। सरकार के समर्थन ने जोखिम को बहुत कम कर दिया है, जिससे पैसों का सैलाब खुल गया है।
आसान हुआ बाजार में पैसा लगानाबाजार का अत्यधिक वित्तीयकरण भी इस असर को बढ़ा रहा है। ट्रेडिंग ऐप्स और बिना कमीशन वाले निवेश के साधनों की बढ़ती संख्या ने लोगों के लिए बाजार में पैसा लगाना बहुत आसान बना दिया है। इससे हर तरह की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।
दोनों के बीच 36 का आंकड़ाइस समय सोना और शेयर एक साथ बढ़ रहे हैं, जो ऐतिहासिक है। इतिहास में, इन दोनों के बीच का संबंध लगभग शून्य रहा है। 1970 के दशक में सोना बहुत महंगा हो गया था जबकि शेयर बाजार नीचे जा रहा था। वहीं 1990 के दशक में डॉट-कॉम बूम के समय सोना गिर रहा था और शेयर चढ़ रहे थे। लेकिन अब दोनों के पीछे एक ही वजह है- बाजार में बहुत ज्यादा पैसा होना।
रूस पर बैन से आई तेजीसाल 2022 में सोने की तेजी तब और तेज हो गई जब अमेरिका ने रूस पर बैन लगाए। इससे विदेशी केंद्रीय बैंकों ने सोने को एक सुरक्षित विकल्प के तौर पर खरीदना शुरू कर दिया। लेकिन आज गोल्ड ईटीएफ (ETF) मांग का एक बड़ा हिस्सा चला रहे हैं। इस साल सोने की मांग में ईटीएफ (ETF) की हिस्सेदारी नौ गुना बढ़कर लगभग 20% हो गई है।
क्या है बाजार की हकीकतइन बड़े कारणों के बावजूद इस हफ्ते सोने के दाम थोड़े गिरे हैं। गुरुवार को सोने और चांदी के दाम हाल की ऊंचाइयों से तेजी से गिरे। सोना लगभग 10% गिरकर 4,381 डॉलर प्रति औंस और चांदी 54.5 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई। विश्लेषकों का कहना है कि यह मुनाफावसूली, मौसमी कारणों और भू-राजनीतिक तनावों में कमी की वजह से हुआ है।
क्या आगे और गिरेगी सोने की कीमत?एंजल वन के मुख्य तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक तेजस शिग्रेकर ने कहा कि तकनीकी संकेतक अब मंदी का संकेत दे रहे हैं। स्पॉट कीमतें लगभग 4000 डॉलर के आसपास कारोबार कर रही हैं और त्योहारी सीजन के बाद मांग में कमी आने की उम्मीद है। मेहता इक्विटीज के कमोडिटीज के वीपी राहुल कालंतरी ने बताया कि यह गिरावट अमेरिकी-भारत व्यापार विकास को लेकर आशावाद के बीच जोखिम वाली संपत्तियों की ओर झुकाव को दर्शाती है।
शेयर मार्केट में आई तेजीपिछले कुछ समय को छोड़ दें तो शेयर मार्केट में शानदार बढ़त बनी हुई है। हालांकि शुक्रवार को इसमें गिरावट रही। बावजूद इसके पिछले 5 कारोबारी दिनों में सेंसेक्स में करीब डेढ़ फीसदी की तेजी आई है। वहीं एक महीने में सेंसेक्स करीब 3 फीसदी चढ़ गया है। वहीं निफ्टी 50 में पिछले 5 कारोबारी दिनों में गिरावट रही है। हालांकि एक महीने में इसमें भी करीब 3 फीसदी की तेजी आई है।
खरबों डॉलर की मददशर्मा के मुताबिक महामारी के दौरान और उसके बाद सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने खरबों डॉलर की मदद दी थी। यह पैसा अभी भी बाजार में घूम रहा है और शेयरों और सोने जैसी कई चीजों में तेजी ला रहा है।
हाल के सालों में, अमेरिकी परिवारों ने शेयर और दूसरी जोखिम वाली चीजों में अपना निवेश बढ़ाया है। उन्हें भरोसा है कि सरकार मुश्किल समय में उनकी मदद जरूर करेगी। शर्मा ने कहा कि निवेशकों को थोड़ी सी भी परेशानी होने पर सरकार से मदद की उम्मीद करने की आदत हो गई है। सरकार के समर्थन ने जोखिम को बहुत कम कर दिया है, जिससे पैसों का सैलाब खुल गया है।
आसान हुआ बाजार में पैसा लगानाबाजार का अत्यधिक वित्तीयकरण भी इस असर को बढ़ा रहा है। ट्रेडिंग ऐप्स और बिना कमीशन वाले निवेश के साधनों की बढ़ती संख्या ने लोगों के लिए बाजार में पैसा लगाना बहुत आसान बना दिया है। इससे हर तरह की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।
दोनों के बीच 36 का आंकड़ाइस समय सोना और शेयर एक साथ बढ़ रहे हैं, जो ऐतिहासिक है। इतिहास में, इन दोनों के बीच का संबंध लगभग शून्य रहा है। 1970 के दशक में सोना बहुत महंगा हो गया था जबकि शेयर बाजार नीचे जा रहा था। वहीं 1990 के दशक में डॉट-कॉम बूम के समय सोना गिर रहा था और शेयर चढ़ रहे थे। लेकिन अब दोनों के पीछे एक ही वजह है- बाजार में बहुत ज्यादा पैसा होना।
रूस पर बैन से आई तेजीसाल 2022 में सोने की तेजी तब और तेज हो गई जब अमेरिका ने रूस पर बैन लगाए। इससे विदेशी केंद्रीय बैंकों ने सोने को एक सुरक्षित विकल्प के तौर पर खरीदना शुरू कर दिया। लेकिन आज गोल्ड ईटीएफ (ETF) मांग का एक बड़ा हिस्सा चला रहे हैं। इस साल सोने की मांग में ईटीएफ (ETF) की हिस्सेदारी नौ गुना बढ़कर लगभग 20% हो गई है।
क्या है बाजार की हकीकतइन बड़े कारणों के बावजूद इस हफ्ते सोने के दाम थोड़े गिरे हैं। गुरुवार को सोने और चांदी के दाम हाल की ऊंचाइयों से तेजी से गिरे। सोना लगभग 10% गिरकर 4,381 डॉलर प्रति औंस और चांदी 54.5 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई। विश्लेषकों का कहना है कि यह मुनाफावसूली, मौसमी कारणों और भू-राजनीतिक तनावों में कमी की वजह से हुआ है।
क्या आगे और गिरेगी सोने की कीमत?एंजल वन के मुख्य तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक तेजस शिग्रेकर ने कहा कि तकनीकी संकेतक अब मंदी का संकेत दे रहे हैं। स्पॉट कीमतें लगभग 4000 डॉलर के आसपास कारोबार कर रही हैं और त्योहारी सीजन के बाद मांग में कमी आने की उम्मीद है। मेहता इक्विटीज के कमोडिटीज के वीपी राहुल कालंतरी ने बताया कि यह गिरावट अमेरिकी-भारत व्यापार विकास को लेकर आशावाद के बीच जोखिम वाली संपत्तियों की ओर झुकाव को दर्शाती है।
शेयर मार्केट में आई तेजीपिछले कुछ समय को छोड़ दें तो शेयर मार्केट में शानदार बढ़त बनी हुई है। हालांकि शुक्रवार को इसमें गिरावट रही। बावजूद इसके पिछले 5 कारोबारी दिनों में सेंसेक्स में करीब डेढ़ फीसदी की तेजी आई है। वहीं एक महीने में सेंसेक्स करीब 3 फीसदी चढ़ गया है। वहीं निफ्टी 50 में पिछले 5 कारोबारी दिनों में गिरावट रही है। हालांकि एक महीने में इसमें भी करीब 3 फीसदी की तेजी आई है।
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