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कांग्रेस के साथ हो रहा 'राजनीतिक भेदभाव', पाकिस्तान हमले पर डोटासरा का फूटा गुस्सा

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जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लगातार तीसरे दिन बॉर्डर पर तनाव और सीजफायर के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पृष्ठभूमि के कर्मचारियों को जानबूझकर बॉर्डर इलाकों में भेजा जा रहा है, जबकि महीनों से एपीओ में चल रहे कर्मचारियों को अचानक सीमावर्ती जिलों में तैनात कर दिया गया है। डोटासरा का कहना है कि ये कर्मचारी डरते नहीं हैं, लेकिन सरकार राजनीतिक भेदभाव के आधार पर फैसले ले रही है।उन्होंने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक सोच है। सरकार अपने विरोधियों को निशाना बना रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पृष्ठभूमि के कर्मचारी देश की सेवा करने से कभी पीछे नहीं हटते, लेकिन उन्हें जानबूझकर मुश्किल इलाकों में भेजना, सरकार की मानसिकता को दर्शाता है। सर्वदलीय बैठक पर उठे सवालडोटासरा ने हाल ही में जयपुर में आयोजित सर्वदलीय बैठक पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि न केवल उन्हें, बल्कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को भी बैठक में नहीं बुलाया गया। यह दर्शाता है कि सरकार में नौकरशाही हावी हो चुकी है और राजनीतिक नेतृत्व को दरकिनार किया जा रहा है। डोटासरा ने कहा, 'जब प्रदेश की सर्वदलीय बैठक में सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष तक को न बुलाया जाए, तो इसे सर्वदलीय बैठक कहना ही गलत है।' अमेरिका की मध्यस्थता पर चिंताकांग्रेस अध्यक्ष ने सीजफायर के मुद्दे पर अमेरिका की भूमिका को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि अमेरिका की मध्यस्थता की ज़रूरत क्यों पड़ी? डोटासरा ने सवाल किया कि जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर युद्धविराम की बात की, तो उसके बाद ही भारत सरकार ने सीजफायर की घोषणा क्यों की?उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम संबोधन करना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि किन हालात में अमेरिका की बात माननी पड़ी।' उन्होंने प्रधानमंत्री की पिछली घोषणाओं का हवाला देते हुए कहा कि जब वो विपक्ष में थे, तब एक के बदले सौ सिर लाने की बात करते थे, लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकते दिखाई दे रहे हैं। विदेश नीति पर सरकार को घेराडोटासरा ने भारत की वर्तमान विदेश नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आज सभी पड़ोसी देश भारत के विरोध में खड़े हैं। चीन खुलकर पाकिस्तान के साथ है और बांग्लादेश समेत अन्य पड़ोसी राष्ट्र भी भारत से दूरी बना रहे हैं। उन्होंने कहा, 'सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी विदेश नीति क्या है और कैसे वे इन संबंधों को सुधारने की योजना बना रहे हैं।' कारगिल और वर्तमान स्थिति की तुलनाउन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका की कोई बात नहीं मानी थी और स्पष्ट कहा था कि भारत किसी की पंचायती नहीं मानेगा। उन्होंने 'ऑपरेशन विजय' चलाकर कारगिल युद्ध जीता था। डोटासरा ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार ने आज क्यों झुकने का रास्ता अपनाया? अंत में दी चेतावनीडोटासरा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने समय रहते अपनी कार्यशैली नहीं बदली और नौकरशाही पर नियंत्रण नहीं पाया, तो आने वाले समय में जनता का आक्रोश सड़कों पर दिखाई दे सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी दलों को साथ लेकर चलना जरूरी है, और सरकार को पारदर्शिता और जवाबदेही से काम करना चाहिए।
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