News India Live, Digital Desk: भारत में सोने का शौक किसी से छिपा नहीं है. त्योहार हो, शादी हो या सिर्फ बचत करनी हो, सोना भारतीयों की पहली पसंद रहा है. लेकिन ये 'गोल्ड फीवर' अब हमारे देश की जेब पर भारी पड़ रहा है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, सोने के ज़बरदस्त आयात की वजह से भारत का व्यापार घाटा बढ़कर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है. सीधे शब्दों में कहें तो हम जितनी चीज़ें बाहर भेजते हैं, उससे कहीं ज़्यादा मंगवा रहे हैं, और सोना इसमें बड़ा हिस्सा है.आखिर ये व्यापार घाटा इतना ज़्यादा क्यों हो रहा है? दरअसल, त्योहारों का मौसम चल रहा है और इस दौरान सोने की मांग बढ़ जाती है. दिवाली, धनतेरस जैसे पर्वों पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. लोग इसे सिर्फ आभूषण के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश के रूप में भी देखते हैं. सोने के दामों में हो रही बढ़ोतरी भी कई लोगों को इसमें निवेश करने के लिए प्रेरित करती है, यह सोचकर कि इसके दाम और बढ़ेंगे.लेकिन जब हम बड़ी मात्रा में सोना आयात करते हैं, तो इसके लिए हमें डॉलर में भुगतान करना पड़ता है. इससे हमारे देश के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है. इसका सीधा असर रुपये पर पड़ता है, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कमज़ोर होने लगती है. रुपये का कमज़ोर होना पूरे देश के लिए महंगा साबित होता है, क्योंकि फिर हमें पेट्रोल-डीजल और बाकी चीज़ें भी ज़्यादा कीमत पर मिलती हैं. यह अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, खासकर तब जब हम अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यह बताता है कि हमारा सोने का प्रेम, अनजाने में, हमारी आर्थिक सेहत को नुकसान पहुँचा रहा है. अब देखना यह होगा कि सरकार और आम जनता, इस सोने के मोह को कैसे नियंत्रित कर पाती है.
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