यह मकर राशि में प्रवेश करेगा और 26 अक्टूबर 2025 तक यहीं रहेगा। वैदिक ज्योतिष में मंगल को साहस, लगन और परिश्रम का कारक और ग्रहों का सेनापति माना जाता है। यह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, मकर राशि में मंगल उच्च और कर्क राशि में नीच का हो जाता है। शुक्र तुला राशि का स्वामी है। यह राशि मंगल की शत्रु राशि मानी जाती है। मंगल का उग्र और तीखा स्वभाव तुला राशि की शांत और संतुलित ऊर्जा के साथ टकराव पैदा कर सकता है। जिसके कारण कुछ राशियों को इस गोचर के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि किन राशियों के लिए मंगल का यह गोचर शुभ नहीं रहेगा और इसे शुभ बनाने के लिए उन राशियों को क्या उपाय करने होंगे?
मेष
मेष राशि के लिए, मंगल का तुला राशि में गोचर सप्तम भाव को प्रभावित करेगा। यह भाव जीवनसाथी, साझेदारी और वैवाहिक जीवन से संबंधित है। मंगल मेष राशि का स्वामी है, लेकिन तुला राशि शत्रु राशि होने के कारण यह गोचर रिश्तों में तनाव, गलतफहमियाँ और विवाद पैदा कर सकता है। व्यावसायिक साझेदारी में मतभेद या हानि की भी संभावना रहेगी। मंगल की तीक्ष्ण और आक्रामक ऊर्जा तुला राशि के संतुलन से टकरा सकती है, जिससे रिश्तों में अस्थिरता आ सकती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से, पेट या मूत्र संबंधी समस्याएँ आपको परेशान कर सकती हैं। मंगल की सप्तम दृष्टि प्रथम भाव पर पड़ेगी, जिससे आत्मविश्वास में कमी और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। उपाय: मंगलवार को हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें और लाल मसूर का दान करें।
कर्क
कर्क राशि के लिए, मंगल का गोचर चतुर्थ भाव में होगा, जो माता, घर और मानसिक शांति से संबंधित है। इस भाव में मंगल की तीक्ष्ण ऊर्जा पारिवारिक तनाव, विशेषकर माता या परिवार के बड़ों के साथ मतभेद पैदा कर सकती है। संपत्ति संबंधी विवाद या गृह प्रवेश जैसे कार्यों में देरी हो सकती है। मंगल की चतुर्थ दृष्टि दशम भाव पर पड़ेगी, जिससे कार्यस्थल पर अनावश्यक तनाव या सहकर्मियों के साथ झगड़ा हो सकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से, छाती, फेफड़े या हृदय संबंधी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं। कर्क मंगल की नीच राशि है। इस कारण, यह प्रभाव और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उपाय: मंगलवार को गुड़ और गेहूं का दान करें।
तुला
तुला राशि के लिए मंगल का गोचर प्रथम भाव में होगा, जो व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास से जुड़ा है। मंगल का उग्र स्वभाव तुला राशि के शांत और संतुलित स्वभाव के विपरीत है, जिससे चिड़चिड़ापन, क्रोध और निर्णय लेने में जल्दबाजी हो सकती है। स्वास्थ्य के लिहाज से सिरदर्द, उच्च रक्तचाप या चोट लगने का खतरा हो सकता है। मंगल की सप्तम दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ेगी, जिससे जीवनसाथी या व्यावसायिक साझेदार के साथ तनाव बढ़ सकता है। तुला राशि के स्वामी शुक्र और मंगल के बीच शत्रुता के कारण यह गोचर मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ा सकता है। उपाय: मंगलवार के दिन लाल चंदन की माला से 'ॐ मंगलाय नमः' मंत्र का 21 बार जाप करें और हनुमान मंदिर में लाल फूल चढ़ाएँ।
मकर
मकर राशि के लिए मंगल का गोचर दशम भाव में होगा, जो करियर, सामाजिक स्थिति और पिता से संबंधित है। हालाँकि मकर मंगल की उच्च राशि है, लेकिन तुला राशि में मंगल की शत्रुता कार्यस्थल पर अत्यधिक दबाव, अधिकारियों से मतभेद या प्रतिस्पर्धा में कठिनाइयों का कारण बन सकती है। मंगल की दशम दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ेगी, जिससे परिवार और कार्य के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है। स्वास्थ्य के मामले में, जोड़ों का दर्द या थकान आपको परेशान कर सकती है। यह गोचर अति-महत्वाकांक्षा का कारण बन सकता है, जिसके कारण गलत निर्णय भी हो सकते हैं। उपाय: मंगलवार को बहते जल में तांबे का सिक्का प्रवाहित करें और हनुमान मंदिर में तेल का दीपक जलाएँ।
मीन राशि
मीन राशि के लिए, मंगल अष्टम भाव में गोचर करेगा, जो रहस्य, परिवर्तन और अनिश्चितता से जुड़ा है। यह गोचर वित्तीय हानि, अनावश्यक खर्च या निवेश में जोखिम का कारण बन सकता है। मंगल की आक्रामकता मानसिक तनाव, चिंता और स्वास्थ्य में अचानक समस्याएँ, विशेष रूप से रक्त या मांसपेशियों से संबंधित, ला सकती है। मंगल की दूसरी दृष्टि द्वितीय भाव पर पड़ेगी, जिससे वाणी में कटुता और पारिवारिक कलह हो सकती है। मीन राशि का स्वामी गुरु और मंगल मित्र हैं, लेकिन तुला राशि में मंगल की कमजोर स्थिति नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। उपाय: मंगलवार को लाल कपड़े में मूंगे का एक टुकड़ा बांधकर दान करें और 'ॐ भौमाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
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