नेपाल की तरह, फ्रांस में भी लोग सड़कों पर उतर आए हैं। पिछले कुछ दिनों से, भीड़ सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। सड़कें जाम की गई हैं और आगजनी की गई है। लोग सरकार विरोधी नारे लिखी तख्तियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। युवा इस विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनके नए प्रधानमंत्री लेकोर्नु के खिलाफ जनता में काफी नाराजगी है। इसका कारण देश का नया बजट बताया जा रहा है। बजट में सार्वजनिक सेवाओं पर खर्च कम कर दिया गया है। लोग, खासकर जेनरेशन जेड और युवा, इसका विरोध कर रहे हैं।
शिक्षक, ट्रेन चालक, फार्मासिस्ट और अस्पताल कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए, जबकि जेनरेशन जेड के किशोरों ने दर्जनों हाई स्कूल बंद कर दिए। युवा प्रदर्शनकारी पिछली सरकार की वित्तीय योजनाओं को रद्द करने, सार्वजनिक सेवाओं पर खर्च बढ़ाने, अमीरों पर अधिक कर लगाने और उन अलोकप्रिय बदलावों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
फ्रांस की सड़कों पर अशांति के बीच, नकाबपोश युवा प्रदर्शनकारी, पुलिस की तेज दौड़ती गाड़ियाँ और धुआँ हर जगह दिखाई दे रहा है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों को अब विभिन्न श्रमिक संघों का समर्थन मिल रहा है। लोगों का गुस्सा बजट में आम आदमी विरोधी नीतियों के खिलाफ है।
मज़दूर संघ इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि नए बजट में कम वेतन वाले कर्मचारियों को पेंशन पाने के लिए ज़्यादा समय तक काम करना अनिवार्य किया गया है। इसलिए, उन्होंने सरकार से इन बजट प्रावधानों को वापस लेने का आग्रह किया है और ऐसा होने तक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया है।
गुरुवार को, विभिन्न संघों और नागरिकों ने मिलकर पेरिस में परिवहन व्यवस्था को बाधित किया। पेरिस में बस डिपो में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। मेट्रो सेवाएं भी ठप कर दी गईं। लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते देखे जा सकते हैं।
फ्रांस में विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बिंदु असामान्य पोशाक पहने प्रदर्शनकारी हैं। कुछ लोग हैज़मैट सूट पहने हुए हैं, तो कुछ पीपीई किट और मास्क पहने हुए हैं। प्रदर्शनकारियों के बीच वन पीस का झंडा भी देखा गया। लोग समुद्री डाकुओं से जुड़े वन पीस के झंडे को लहराते हुए देखे गए।
प्रदर्शनकारी नए बजट में कटौती के बावजूद, अमीरों पर ज़्यादा कर लगाने और गरीबों के लिए सार्वजनिक सेवाओं और सुविधाओं पर ज़्यादा पैसा खर्च करने की मांग कर रहे हैं।
लोग कह रहे हैं, "हम सरकार को 'ना' कह रहे हैं। बस, बहुत हो गया। हमारे पास अब पैसा नहीं है, जीवनयापन का खर्च बहुत ज़्यादा है। और ज़्यादा टैक्स देना हमारी पहुँच से बाहर है।" लाखों लोगों के देशव्यापी प्रदर्शनों में इकट्ठा होने की उम्मीद है, जो बढ़ती गरीबी, बढ़ती असमानता और कम वेतन वाले मज़दूरों व अन्य लोगों के लिए आजीविका के संघर्ष के ख़िलाफ़ अपना गुस्सा ज़ाहिर करेंगे।
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