जम्मू, 24 अप्रैल . डोगरी भाषा और साहित्यिक विरासत के उत्सव में जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) ने वीरवार को जम्मू के केएल सैगल हॉल में – एक मलाटी – नामक एक प्रतिष्ठित साहित्यिक संवाद का आयोजन किया जिसमें प्रख्यात डोगरी लेखक और पद्मश्री पुरस्कार विजेता प्रो. ललित मगोत्रा शामिल हुए. इस कार्यक्रम में पूरे क्षेत्र से शिक्षाविदों, लेखकों, सांस्कृतिक हस्तियों और छात्रों की एक बड़ी और विविध सभा हुई जो डोगरी साहित्य और क्षेत्रीय पहचान में प्रो. मगोत्रा के महान योगदान की प्रशंसा में एकजुट थे.
अपने स्वागत भाषण में जेकेएएसीएल की सचिव हरविंदर कौर ने प्रो. मगोत्रा को डोगरी साहित्य में अग्रणी बताते हुए कहा इस कार्यक्रम में प्रो. मगोत्रा को शामिल करना सम्मान और डोगरी भाषा और संस्कृति में उनके अद्वितीय योगदान की मान्यता दोनों है. 90 मिनट के गहन व्यक्तिगत और दार्शनिक मुख्य भाषण में प्रो. मगोत्रा ने अपने सात दशक लंबे साहित्यिक और व्यक्तिगत सफर पर विचार किया, अपने बचपन, लेखन के शुरुआती वर्षों और वैचारिक विकास से जुड़े अंतरंग किस्से साझा किए. उन्होंने डोगरी भाषा आंदोलन में अपनी भूमिका के बारे में भावुकता से बात की जिसमें डोगरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अभियान, लिपि से जुड़ी चुनौतियाँ और डोगरी संस्था की परिवर्तनकारी यात्रा शामिल है.
श्रोताओं का स्वागत करते हुए जेकेएएसीएल जम्मू के संभागीय प्रमुख डॉ. जावेद राही ने इस बात पर जोर दिया कि लेखक से मिलिए पहल का उद्देश्य साहित्यिक प्रतीकों की स्वयं-वर्णित जीवन कहानियों को दस्तावेजित करना और उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है. उन्होंने घोषणा की कि कार्यक्रम का एक ऑडियो-विजुअल संग्रह बनाए रखा जाएगा जिसके मुख्य अंश अकादमी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका शीराज़ा में प्रकाशित किए जाएँगे. इस कार्यक्रम का एक विद्वत्तापूर्ण आकर्षण प्रोफेसर वीना गुप्ता द्वारा प्रस्तुत एक महत्वपूर्ण पेपर था जिसमें उन्होंने डोगरी साहित्य में प्रोफेसर मगोत्रा के योगदान और क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श पर उनके प्रभाव का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया.
/ राहुल शर्मा
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